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नौवीं की कक्षाएं शुरू पर, आठवीं के पांच लाख विद्यार्थियों को रिजल्ट का इंतजार

राज्य में नौंवीं की कक्षाएं तो शुरू हो गयी पर आठवीं बोर्ड का रिजल्ट अब तक जारी नहीं हुआ है. कक्षा आठवीं बोर्ड की परीक्षा 16 मार्च को हुई थी. स्कूलों को छह अप्रैल तक आंतरिक मूल्यांकन का प्राप्तांक अपलोड करने को कहा गया था.

रांची (प्रमुख संवाददाता). राज्य में नौंवीं की कक्षाएं तो शुरू हो गयी पर आठवीं बोर्ड का रिजल्ट अब तक जारी नहीं हुआ है. कक्षा आठवीं बोर्ड की परीक्षा 16 मार्च को हुई थी. स्कूलों को छह अप्रैल तक आंतरिक मूल्यांकन का प्राप्तांक अपलोड करने को कहा गया था. परीक्षा झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा ली गयी थी. परीक्षा में पांच लाख से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए थे. सरकारी स्कूलों में दो मई से नया शैक्षणिक सत्र भी शुरू हो गया, पर रिजल्ट जारी नहीं हो सका. इस कारण विद्यार्थियों का नामांकन भी प्रभावित हो रहा है. रिजल्ट जारी नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है. इस कारण वे दूसरे विद्यालयों में नामांकन नहीं ले पा रहे हैं. राज्य के सरकारी विद्यालयों में जहां अब तक आठवीं बोर्ड का रिजल्ट जारी नहीं हुआ है वहीं सीबीएसइ स्कूलों में अप्रैल के प्रथम सप्ताह में नौवीं की कक्षाएं शुरू हो गयी थीं. विद्यालयों में साप्ताहिक टेस्ट लेने की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है. कक्षा आठवीं का रिजल्ट 15 मई तक जारी होने की संभावना है. रिजल्ट जारी होने के एक सप्ताह के बाद स्कूलों में गर्मी की छुट्टी प्रस्तावित है. ऐसे में जून के प्रथम सप्ताह से ही विद्यार्थी विद्यालय जा सकेंगे.

स्कूलों ने नहीं भेजा आंतरिक मूल्यांकन का अंक

आठवीं बोर्ड के विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक का निर्धारण विद्यालय स्तर से किया जाना है. स्कूलों को प्राप्तांक जैक के पोर्टल पर अपलोड करना होता है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने स्कूलों को छह अप्रैल तक प्राप्तांक अपलोड करने का निर्देश दिया गया था. राज्य के लगभग 350 स्कूलों द्वारा अब तक आंतरिक मूल्यांकन अंक झारखंड एकेडमिक काउंसिल को उपलब्ध नहीं कराया गया है. जैक ने इन विद्यालयों का नाम संबंधित जिला के जिला शिक्षा अधीक्षक को भेजा गया है. विद्यालयों को आठ मई तक अंक उपलब्ध कराने अंतिम अवसर दिया गया था.

परीक्षाफल जारी नहीं होने की जिम्मेदारी स्कूल की

झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा जिलों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि अगर अंक नहीं भेजे जाने के कारण विद्यार्थियों का रिजल्ट प्रभावित होता है इसकी जिम्मेदारी संबंधित विद्यालय की होगी.

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