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राजनीतिक रैलियों में सरना झंडा के इस्तेमाल पर रोक लगाने का आह्वान

राजनीतिक कार्यक्रमों और रैलियों में सरना झंडा के इस्तेमाल पर नाराजगी जताते हुए इस पर रोक लगाने का आह्वान किया गया है. बुधवार को इस मुद्दे पर करमटोली स्थित केंद्रीय धुमकुड़िया में विभिन्न आदिवासी संगठनों और सरना समितियों की बैठक हुई.

रांची (संवाददाता). राजनीतिक कार्यक्रमों और रैलियों में सरना झंडा के इस्तेमाल पर नाराजगी जताते हुए इस पर रोक लगाने का आह्वान किया गया है. बुधवार को इस मुद्दे पर करमटोली स्थित केंद्रीय धुमकुड़िया में विभिन्न आदिवासी संगठनों और सरना समितियों की बैठक हुई. बैठक में कहा गया कि हाल के दिनों में प्रकृति पूजक आदिवासियों के सरना झंडे का दुरुपयोग बढ़ा है. वक्ताओं ने कहा कि आज आदिवासियों के धार्मिक-सामाजिक सरना झंडा को आदिवासियों और सरना समुदाय के तथाकथित स्वयंभू लोगों द्वारा गिरवी रख दिया जा रहा है. कहा गया कि यह आदिवासी समुदाय और सरना धर्मावलंबियों का अपमान है. यह सरना आदिवासियों के प्रतीकों पर कुठाराघात है. इससे सरना झंडे के महत्व और प्रासांगिकता पर सवालिया निशान है लगता है. बैठक में अपील की गयी कि आदिवासी समुदाय सरना झंडे का दुरुपयोग के खिलाफ आगे आयें. बैठक में केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की, सरना सदान मूलवासी मंच के अध्यक्ष सूरज टोप्पो, कांके रोड सरना समिति के अध्यक्ष डब्लू मुंडा, महाराजा मदरा मुंडा केंद्रीय पड़हा समिति के महामंत्री साधुलाल मुंडा, बिरसा मुंडा स्मारक समिति टैगोर हिल, मोरहाबादी के कार्यकारी अध्यक्ष अमित मुंडा, बारह पड़हा कांके के संरक्षक सधन उरांव, केंद्रीय सरना समाज उत्थान समिति हेसल, अनगड़ा के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक पाहन सहित अन्य शामिल थे.

राजनीतिक पार्टियों पर मुकदमा दर्ज करायेंगे

बैठक में निर्णय लिया गया कि अगर आगे भी सरना झंडा का उपयोग किसी भी राजनीतिक पार्टियों के कार्यक्रमों और अवांछित जगहों पर हुआ तो आदिवासी समुदाय ऐसे लोगों के विरोध में खड़ा होगा तथा ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी मुकदमा दर्ज करायेगा. इस अवसर पर आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि प्रकृति पूजक आदिवासी समुदाय का प्रतीक ध्वज सरना झंडे का सिर्फ उपयोग धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में किया जाना चाहिए.

झंडा पर किसी एक का हक नहीं

सरना झंडा के इस्तेमाल को लेकर बैठक से पूर्व तकरार की स्थिति भी बनी. केंद्रीय सरना समिति अजय तिर्की गुट के अध्यक्ष अजय तिर्की, आदिवासी जनपरिषद के प्रेमशाही मुंडा सहित अन्य लोगों ने बैठक का विरोध किया. अजय तिर्की व प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि सरना झंडा किसी एक का नहीं है यह पूरे आदिवासी समुदाय का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह निर्णय नहीं ले सकते कि सरना झंडा का इस्तेमाल कहां पर किया जाना चाहिए और कहां पर नहीं.

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