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तालाबों के शहर में सूख रहे लोगों के हलक

नगर निगम क्षेत्र के भूमिगत जल को बनाये रखने के लिए आसपास कई तालाब और झरने हैं. ये नये नहीं, बल्कि कई वर्ष पहले इनका निर्माण कराया गया था, जो शहरी क्षेत्र के मुख्य जलस्रोत थे.

सासाराम नगर.

नगर निगम क्षेत्र के भूमिगत जल को बनाये रखने के लिए आसपास कई तालाब और झरने हैं. ये नये नहीं, बल्कि कई वर्ष पहले इनका निर्माण कराया गया था, जो शहरी क्षेत्र के मुख्य जलस्रोत थे. शेरशाह का रौजा, सलेम शाह का तालाब (तकिया), सागर तालाब, कृष्ण गौशाला तालाब (सागर), त्रिनेत्र गुफा तालाब, अघोड़वा तालाब, बाबाजी का तालाब (निगम कार्यालय के बगल में), हथिया कुआं तालाब (करपूरवा), जलेश्वर तालाब (बड़की करपूरवा) आदि हैं. लेकिन, समय बीतने के साथ ही ये संरक्षण के अभाव में सूख रहे हैं. साथ ही यहां रहनेवालों का इस गर्मी में हलक भी सूख रहा है. कई वर्षों से इन तालाबों की सफाई नहीं होने से पानी दूषित हो गया है और अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. इसका कसूरवार नगर प्रशासन के साथ-साथ यहां के लोग भी हैं, जो अपने घरों का गंदा पानी इन तालाबों में बहाते हैं. तालाबों के शहर से मशहूर इस शहर में अगर पीएचइडी की वाटर सप्लाइ में खराबी आती है, तो लोगों को प्यास बुझाने के लिए टैंकर कम पड़ जायेंगे. हालांकि, जल जीवन हरियाली के तहत नगर प्रशासन ने वित्तीय वर्ष में सोख्ता बनाने में दिलचस्पी दिखायी थी, पर यह योजना महज ट्रायल के रूप में देखी गयी, क्योंकि प्रत्येक वार्ड में दो-दो सोख्तों का ही निर्माण किया गया. इसके अलावा छह तालाबों के सौंदर्यीकरण के उद्देश्य से सीढ़ी और स्लोप प्रोटेक्शन पाथवे का निर्माण कराने के लिए टेंडर किया गया था. हालांकि, तालाबों की सफाई का इसमें जिक्र नहीं है. ऐसे में लोग पीने के पानी के लिए पूरी तरह सप्लाइ वाटर पर निर्भर हैं. रही बात बारिश के पानी के संरक्षण की, तो यह निगम क्षेत्र में बनाये जानेवाले घरों के नक्शे पर होता है. धरातल पर यह किसी घरों में नहीं दिखता है.

4.86 करोड़ रुपये होंगे खर्च

निगम क्षेत्र के छह तालाबों कृष्ण गौशाला तालाब (सागर), त्रिनेत्र गुफा तालाब, अघोड़वा तालाब, बाबाजी का तालाब (निगम कार्यालय के बगल में), हथिया कुआं तालाब (करपूरवा) और जलेश्वर तालाब (बड़की करपूरवा) पर घाट और पाथवे निर्माण के लिए निगम ने टेंडर निकाला है, जिस पर करीब 4.86 करोड़ रुपये खर्च होंगे. लेकिन, इन तालाबों के पानी को प्रदूषणमुक्त करने के लिए फिलहाल निगम की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. इसको लेकर जिले में संचालित एनजीओ भी अपनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.

सूख गया हंडल, डूब रहा गौरक्षणी

तालाबों के सूखने से भूजलस्तर पर केवल प्रभाव नहीं पड़ा है, ब्लकि इसका शहरी क्षेत्र में रहनेवाले प्रत्येक व्यक्ति पर भी असर पड़ा है. कभी तकिया से लेकर महद्दीगंज तक रेलवे लाइन के उत्तर किनारे-किनारे एक तालाब था, जिसे यहां के स्थानीय लोग हंडल के नाम से जानते थे. यह तालाब भूजलस्तर को बेहतर बनाने के साथ-साथ तकिया, गौरक्षणी, गजराढ़, महद्दीगंज, गोपालगंज सहित कई मुहल्लों को बारिश में डूबने से बचाता था. लेकिन, रेलवे के फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण के दौरान इसे मिट्टी से भर दिया गया, जिसका खामियाजा रेलवे लाइन के उत्तर साइड में बसे मुहल्लेवासियों को भुगतना पड़ रहा है. अब गौरक्षणी में गर्मी के मौसम में भी सड़कों पर पानी भरा रहता है. अगर निगम की मोटर किसी कारण से कुछ घंटे बंद हो जाये, तो स्थिति और भी बदतर हो जाती है. वहीं, बारिश के दिनों में लोगों के घरों में पानी घुस जाता है.

इस वित्तीय वर्ष में तालाबों के संरक्षण पर होंगे खर्च

इस संबंध में मेयर काजल कुमारी ने कहा कि तालाबों के सौंदर्यीकरण से अधिक जरूरी है उसकी साफ-सफाई. निगम सौंदर्यीकरण के साथ-साथ तालाबों के संरक्षण पर इस वित्तीय वर्ष में कार्य करेगा. तालाबों की सफाई कर उन्हें प्रदूषणमुक्त किया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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