आसनसोल.
पश्चिम बर्दवान जिला में चौथे चरण में 13 मई को लेकर बैलट यूनिट (बीयू), कंट्रोल यूनिट (सीयू) और वीवीपीएटी की कमीशनिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद 700 नये सीयू जिले में मंगवाने का माकपा ने विरोध किया है. माकपा जिला कमेटी के सचिव गौरांग चटर्जी ने बताया कि सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद राजनीतिक पार्टियों को विश्वास में लिए बगैर 700 सीयू क्यों मंगवाये गये? इसका उपयोग चुनाव में करने के खिलाफ आपत्ति जताते हुए जिलाधिकारी सह जिला चुनाव अधिकारी (आरओ) एस पोन्नमबलम को लिखित शिकायत की गयी है. बांकुड़ा से 700 सीयू जिले में लाये गये हैं. आरओ श्री पोन्नमबलम ने कहा कि कमीशनिंग के दौरान भारी संख्या में सीयू यूनिट खराब हुई. राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ही बूथों के लिए सारे बीयू, सीयू और वीवीपीएटी को पूरी तरह से जांच के बाद एक साथ स्ट्रांग रूम में भेज दिया गया गया. कुल इवीएम सेट का 20 से 30 फीसदी रिजर्व में रखा जाता है. कमीशनिंग के दौरान जो सीयू खराब हुई रिजर्व से उसे बदल दिया गया. रिजर्व में जो सीयू कम हो गये हैं, उसके लिए 700 सीयू की मांग चुनाव आयोग से की गयी थी. जिसे आयोग ने जिले में भेज दिया है. पुनः राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों को बुलाकर सीयू की फर्स्ट लेवल चेकिंग, कमीशनिंग सारी प्रक्रिया करके ही उसे रिजर्व में रखा जायेगा.गौरतलब है कि पश्चिम बर्दवान जिला में कुल नौ विधानसभा क्षेत्र हैं. जिनमें आसनसोल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल्टी, बाराबनी, रानीगंज, जामुड़िया, आसनसोल उत्तर, आसनसोल दक्षिण और पांडवेश्वर, कुल सात विधानसभा क्षेत्र तथा बर्दवान दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से दुर्गापुर पूर्व और दुर्गापुर पश्चिम, ये दो विधानसभा क्षेत्र पश्चिम बर्दवान जिले के अंतर्गत आते हैं. जिले में कुल बूथों की संख्या 2498 हैं. जिनमें आसनसोल लोकसभा क्षेत्र में 1901 हैं. हालांकि 2498 बूथों के लिए ही सारी तैयारी पश्चिम बर्दवान जिले को ही करनी है. मतदान के लिए बीयू, सीयू और वीपीपीएटी का इस्तेमाल होने से पहले चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों के समक्ष इसकी जांच होती है. मशीनों को जांच की तीन प्रक्रिया से गुजरने के बाद बूथों में भेजने के लिए तैयार किया जाता है. सबसे पहले फर्स्ट लेवल चेकिंग (एफएलसी), दूसरे में कमीशनिंग और अंत में रैंडमाइजेशन करके बूथों में भेजा जाता है. कमीशनिंग के दौरान उम्मीदवारों का नाम चुनाव चिह्न आदि मशीनों में लगाया जाता है. उसके बाद उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि कुल मशीनों में कहीं से पांच प्रतिशत मशीनों को चुनकर उनमें सौ-सौ वोट डालते हैं. सारी मशीनों के सही तरीके से काम करने की संतुष्टि के बाद ही सारे मशीनों को रैंडमाइजेशन के जरिये उन्हें बूथों के लिए तैयार करके स्ट्रांग रूम में बंद कर दिया जाता है. कमीशनिंग के दौरान भारी संख्या में सीयू खराब हो गये. रिजर्व से सीयू लेकर बूथों के लिए तैयार कर लिया गया. सूत्रों के अनुसार रिजर्व में हर विधानसभा क्षेत्र से पांच प्रतिशत तक सीयू कम हो गये. जिलाधिकारी ने कहा कि चुनाव के दिन यदि सीयू के अभाव में यदि मतदान रोकना पड़ा तो उस समय सभी लोग प्रशासन को जिम्मेदार बताकर हंगामा करेंगे. इसलिए रिजर्व को मजबूत रखने के लिए पहले ही सीयू को मंगा लिया गया. सभी की मौजूदगी में जांच पूरी करके इन्हें रिजर्व में शामिल कर लिया जायेगा. चुनाव के दिन सेक्टर अधिकारी और एआरओ की जिम्मेदारी में रिजर्व मशीनें रहेंगी. जरूरत के आधार पर इसका उपयोग होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है