देव. जहां लोग तालाब व पोखर खुदवा कर मत्स्य पालन कर लाखों रुपये कमा रहे हैं वही पौराणिक सूर्य नगरी देव में सूर्यकुंड एवं रूद्र कुंड तालाब में मछलियों को मारना सख्त मना है. मछलियों को लोग दाना डाल उसकी रक्षा का संकल्प लेते हैं. सूर्यकुंड तालाब के समीप रूद्र कुंड तालाब में छह फुट की बड़ी मछली और एक छोटी मछली मरी हुई पायी गयी. तालाब पर निगरानी रखने वाले सुदामा सिंह, कुमार विशाल, आदर्श कुमार, देवा कुमार, बिट्टू कुमार आदि लोगों ने विष्णु का अवतार मान मछली को फूल माला से सजाकर विधि विधान से उसे हिंदू रीति रिवाज के अनुसार दफनाया. ज्ञात हो कि इस तालाब में मछलियों को नहीं मारने की परंपरा वर्षों से जारी है. नयी पीढ़ी भी इस परंपरा को आज भी शिद्दत के साथ निभा रही है. सूर्यकुंड और रूद्र कुंड तालाब के मछलियों को यहां के लोग न तो मारते हैं, न ही खाते हैं. लोगों का ऐसा विश्वास है कि जो भी व्यक्ति चोरी छिपे इस तालाब की मछली को मार कर खा लेता है, उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं और वह परेशानियों में उलझता चला जाता है. तालाब परहरि सुदामा सिंह ने बताया कि तालाब पर पहुंचा तो देखा रूद्र कुंड तालाब में पानी के ऊपर मरी हुई मछली पड़ी हुई थी. जानकारी होते ही दर्जनों ग्रामीण पहुंचे. न्यास समिति के सचिव विश्वजीत राय, सदस्य सुनील सिंह, सदस्य योगेंद्र सिंह ने कहा कि छह फीट की मछली रूद्र कुंड तालाब में मरी हुई पायी गयी, जिसे विधि विधान से दफनाया गया.
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