Lok Sabha Elections 2024: बिहार का सबसे छोटा जिला शिवहर शुरू में मुजफ्फरपुर उत्तर-पश्चिम सीट के रूप में जाना जाता था. शिवहर जिला 1991 तक सीतामढ़ी जिले के एक उपमंडल का हिस्सा था. इसको 6 अक्टूबर, 1994 को बिहार सरकार ने अपनी अधिसूचना संख्या 286 के माध्यम से एक जिले का दर्जा दे दिया था. यह तिरहुत डिवीजन के उत्तरी भाग में स्थित है. यह उत्तर और पूर्व में सीतामढ़ी, दक्षिण में मुजफ्फरपुर और पश्चिम में पूर्वी चंपारण जिले से घिरा हुआ है. मुजफ्फरपुर उत्तर-पश्चिम सीट कहे जानेवाले इस इलाके को बाद के परिसीमन में पुपरी और अब शिवहर संसदीय क्षेत्र कहा जाता है. इस अनारक्षित संसदीय क्षेत्र में 631 गांव और 6 शहर शामिल है. शिवहर लोकसभा सीट के अंदर बेलसंढ, चिरैया, ढाका, मधुबन, रीगा और शिवहर विधानसभा आते हैं.
एक तिहाई मुस्लिम आबादी
शिवहर की कुल जनसंख्या 2648107 है. इसमें ग्रामीण 93 प्रतिशत और शहरी महज साज प्रतिशत हैं. इस संसदीय क्षेत्र में कुल 561823 घर हैं. सामाजिक तौर देखा जाये तो अनुसूचित जाति यहां 13.49, अनुसूचित जनजाति 0.04 और सामानय वर्ग करीब 86.47 प्रतिशत है. साक्षरता दर 53 प्रतिशत है जिसमें पुरुष 52.85 और महिला 47.15 प्रतिशत है. लिंग अनुपात यहां 892 है. शिवहर संसदीय क्षेत्र में एक तिहाई मुस्लिम आबादी है. यहां कुल आबादी का 61 प्रतिशत हिंदू हैं, जबकि 22 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. अन्य धर्म के 17 प्रतिशत लोग यहां रहते हैं.
लगातार बढ़ा है मतदान प्रतिशत
शिवहर संसदीय क्षेत्र में पिछले तीन चुनावों में लगातार मतदान का प्रतिशत बढ़ा है. अगर हम मतदाताओं की संख्या की बात करें तो 2009 में 1269056, 2014 में 1485801, 2019 में 1686215 और 2024 में 1814911 मतदाता यहां है. आयु वर्ग के हिसाब से देखा जाये तो 18-25 आयुवर्ग के 13.78 प्रतिशत, 25-35 आयुवर्ग के 28.25 प्रतिशत, 35-60 आयुवर्ग के 43.83 प्रतिशत और 60 से अधिक आयुवर्ग के 14.13 प्रतिशत मतदाता है. मतदान प्रतिशत अगर देखा जाये तो 2009 में 45.15, 2014 में 56.73 और 2019 में बढ़कर हो गया 59.60. यह राज्य के औसत मतदान से अधिक है.
तीन वार से है भाजपा का कब्जा
शिवहर लोकसभा सीट पर पिछले तीन चुनाव से भाजपा का कब्जा है. 2019 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार रमा देवी ने कुल 6,08,678 वोट प्राप्त किया था. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार सैयद फैसल अली को 3,40,360 वोटों से हराया था. सैयद फैसल अली को कुल 2,68,318 वोट मिले थे. रमा देवी यहां से लगातार दो चुनाव जीती है. 2014 में भाजपा उम्मीदवार रमा देवी ने राजद उम्मीदवार अनवारूल हक को हराया. रमा देवी को 372506 मत मिले, जबकि अनवारूल हक को 236267 मत मिले. जदयू के शाहिद अली खान को 79108 मत मिले थे. इस चुनाव में लवली आनंद सपा उम्मीदवार के तौर पर महज 46008 मत ही पा सकी थी. बीएसपी के अंगेश कुमार भी 26446 मत पाने में सफल रहे थे.
इसी प्रकार 2019 में भी रमा देवी ने यहां से जीत दर्ज की. उन्हें 608678 मत मिला, जबकि राजद के फैसल अली 268318 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे. निर्दलीय केदार नाथ 18426 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे. यहां 2019 में 18 जबकि 2014 में 15 लोगों ने नोटा दबाया. दलगत प्रतिशत की बात करें तो यहां भाजपा को 2009 में 40 प्रतिशत, 14 में 44 प्रतिशत और 19 में 61 प्रतिशत मत मिले हैं. वहीं राजद को 2009 में 15 प्रतिशत, 14 में 29 प्रतिशत और 19 में 26 प्रतिशत मत मिले हैं.
जुगल किशोर सिन्हा थे पहले सांसद
1953 में लोकसभा के पहले चुनाव में इस सीट से जुगल किशोर सिन्हा ने जीत दर्ज की थी. वे फ्रीडम फाइटर थे और क्षेत्र में लोकप्रिय थे. अगले चुनाव में नाम बदलने के साथ ही सांसद भी बदल गये. पुपरी नाम होने पर यहां से कांग्रेस पार्टी के दिग्विजय सिंह ने जीत दर्ज की थी. बाद में उम्मीदवार जरूर बदलते रहे, लेकिन क्षेत्र पर काब्जा कांग्रेस का ही रहा. 1957 से 71 तक यहां से कांग्रेस ही जीतती रही.
आपातपात काल के बाद मिला जनता पार्टी को मौका
आपात काल के बाद 1977 के चुनाव में यहां से जनता पार्टी के ठाकुर गिरजा नंदन सिंह सांसद बने, तीन साल बाद ही 1980 के चुनाव में फिर यहां कांग्रेस का दौर लौट आया. 1984 में भी कांग्रेस को जीत मिली और राम दुलारी सिन्हा लगातार दूसरी बार सांसद बनी. इसके बाद फिर दौर बदला और सीट कांग्रेस से जनता दल के हिस्से में आ गया. 1989 और 1991 दोनों बार जनता दल के हरि किशोर सिंह को सफलता मिली. 1996 में समता पार्टी के आनंद मोहन सिंह यहां से निर्वाचित हुए. अगले चुनाव 1998 में वह फिर से यहां से जीते, लेकिन इस बार उन्होंने न्हों पार्टी बदल दी और आल इंडिया राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर विजेता बने. 1999 के चुनाव में लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से मोहम्मद अनवारूल हक को टिकट मिला और वे विजयी रहे. 2004 के चुनाव में भी उनकी पार्टी को जीत मिली और सीताराम सिंह यहां से सांसद बने.
रितु और लवली में मुकाबला
बिहार में लोकसभा चुनाव के छठे चरण की शिवहर सीट पर राजद की रितु जायसवाल और एनडीए की लवली आनंद के बीच ही मुख्य मुकाबला है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने राणा रंजीत सिंह को शिवहर में कैंडिडेट बनाया है, जिनके भाई राणा रणधीर सिंह इसी लोकसभा के अंदर मधुबन सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं. राणा रंजीत सिंह के भाई चुनाव में गठबंधन धर्म निभाते हुए लवली आनंद का प्रचार कर रहे हैं. लवली आनंद और राणा रंजीत सिंह राजपूत हैं, जबकि रितु जायसवाल वैश्य.