रांची़ महिला हिंसा, आरक्षण और कामकाजी महिलाओं की समस्याओं जैसे मुद्दे को लेकर बुधवार को बिहार क्लब में महिला न्याय सम्मेलन हुआ. महिला शक्ति क्लब और इंदिरा फेलोशिप के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर नीलम तिग्गा ने कहा कि हमारी कमजोरी यह है कि हम संगठित नहीं हैं. अगर हम संगठित हो जायें, तो अपने अधिकार पाने में आसानी होगी. उन्होंने कहा कि जरूरी है कि हम घरों से बाहर निकलें और आवाज उठायें. उन्होंने कहा कि हम राजनीति में दिलचस्पी लें या नहीं लें, पर राजनीति हम पर असर डालती है. इसलिए इन विषयों पर भी जागरूकता जरूरी है. लक्ष्मी ने कहा कि घरेलू हिंसा से लेकर राजनीतिक हिंसा तक में निशाना महिलाओं को बनाया जाता है. हमें इसके खिलाफ आवाज उठाना होगा. रेजिना ने कहा कि हम अपने अधिकारों को जानते हैं, पर संकोच करते हैं. घर से बाहर निकल नहीं पाते. महिलाओं के खिलाफ हिंसा तो पेट से ही शुरू हो जाती है, जब कन्या भ्रूण को पेट में ही मार दिया जाता है. आलोका ने कहा कि नौ महीने पहले महिला शक्ति क्लब का गठन किया गया था. क्लब की ओर से कार्यक्रम के जरिये महिलाओं के बीच जागरूकता फैलायी जा रही है. उन्होंने कहा कि संविधान हमें जीने, शिक्षा, भोजन और बाकी अधिकार देता है. आज संविधान पर संकट है. रमा खलखो सहित अन्य महिलाओं ने भी संबोधित किया. सम्मेलन में आदिवासी मूलवासी संघर्ष समिति, प्रगति महिला समिति, अखिल भारतीय आदिवासी परिषद, एडवा, एपवा, महिला उत्पीड़न विरोधी विकास समिति व अन्य संगठनों से जुड़ीं महिलाओं ने हिस्सा लिया.
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