दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कथित शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट अंतरिम जमानत पर शुक्रवार को फैसला सुना सकता है. इस मामले में मंगलवार को न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष प्रवर्तन निदेशालय और बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील रखी थी,
लेकिन पीठ ने कोई फैसला नहीं दिया. इस मामले में शुक्रवार को पीठ अंतरिम जमानत पर फैसला सुना सकता है. इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का विरोध किया है. गुरुवार को दाखिल हलफनामे में जांच एजेंसी ने कहा है कि चुनाव में प्रचार करना मौलिक और कानूनी अधिकार नहीं है. प्रवर्तन निदेशालय के उप निदेशक भानु प्रिया द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि अब तक किसी नेता को चुनाव प्रचार करने के आधार पर अंतरिम जमानत नहीं दी गयी है और केजरीवाल चुनाव में उम्मीदवार भी नहीं हैं.
चुनाव को आधार बनाकर कर चुके हैं समन की अनदेखी
जांच एजेंसी ने हलफनामे में कहा है कि अरविंद केजरीवाल पूर्व में पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को देखते हुए समन की अनदेखी कर चुके हैं. अगर चुनाव में प्रचार के आधार पर केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जाती है तो किसी नेता को न्यायिक हिरासत में रखना मुश्किल होगा. पिछले तीन साल में देश में सैकड़ों चुनाव हो चुके हैं और अगर चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो किसी नेता को हिरासत में रखना संभव नहीं होगा क्योंकि देश में हमेशा कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं. ऐसे में अगर केजरीवाल को विशेष छूट दी जाती है, तो यह कानून के हिसाब से सही नहीं होगा. कानून की नजर में सभी नागरिक समान होते हैं. देश में ऐसे कई नेता हैं जो न्यायिक हिरासत में रहते चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं, लेकिन अदालत की ओर से उन्हें अंतरिम जमानत नहीं दी गयी.
केजरीवाल के खिलाफ अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी
शराब घोटाले में शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय, विशेष अदालत में अरविंद केजरीवाल और के कविता के खिलाफ अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल कर सकती है. इसमें केजरीवाल को शराब घोटाले का मुख्य आरोपी बनाया जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि जांच एजेंसी को शराब घोटाले में केजरीवाल के खिलाफ मनी ट्रेल के पुख्ता सबूत मिल गये हैं. आरोप पत्र में केजरीवाल की भूमिका की विस्तृत जानकारी देने की बात सामने आ रही है. ऐसे में आने वाले समय में केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती है.