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माइंस बंदी, बेरोजगारी, शिक्षा व स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे मुसाबनी के लोग

-मुसाबनी : समस्याओं के समाधान की ओर टकटकी लगा कर बैठे ग्रामीण

मुसाबनी. मुसाबनी प्रखंड माइंस बंदी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत कई मूलभूत समस्याओं की मकड़ जाल में उलझा है. लोकसभा चुनाव के दौरान लोग बस समस्याओं के समाधान की ओर टकटकी लगा कर बैठे हैं.

1. माइंसों की बंदी से बढ़ी बेरोजगारी :

लोकसभा चुनाव के दौरान सुरदा माइंस बंदी के साथ सुरदा फेस टू साफ्ट सिंकिंग केंदाडीह माइंस और मुसाबनी कंसंट्रेटर प्लांट की बंदी से लंबे समय से इसमें काम करने वाले मजदूर बेरोजगार हैं. बेरोजगारी से मजदूरों का परिवार आर्थिक बदहाली में जी रहा है. माइंस बंदी के कारण बेरोजगार हुए मजदूर और परिवारों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. एक वर्ष माइंस बंदी के कारण क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ गयी है. प्रखंड खनन क्षेत्र में रोजगार का महत्वपूर्ण साधन है. खनन क्षेत्र बदहाल है. खनन क्षेत्र के विकास और बंद पड़ी खदानों को फिर से चालू करने के अब तक के सारे प्रयास फिसड्डी साबित हुए हैं. माइंस बंदी से क्षेत्र में व्यापक बेरोजगारी है. बड़ी संख्या में मजदूर दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए पलायन कर गये हैं.

2. प्रखंड की स्वास्थ्य सेवा बदहाल :

2001 से खदानों की बंदी के बाद 350 बेड वाला आधुनिक मुसाबनी माइंस अस्पताल बंद पड़ा है. मुसाबनी में अस्पताल खोलने के अब तक किये गये सभी प्रयास असफल साबित हुए हैं. करोड़ों की लागत से बना मुसाबनी माइंस अस्पताल का भवन खंडहर में तब्दील हो गया है. प्रखंड की 10 पंचायतों की लगभग 60,000 की आबादी प्रखंड परिसर स्थित पुराने सीएचसी के जर्जर भवन में एक फर्मासिस्ट के सहारे है. केंदाडीह में नये भवन में सीएचसी संचालित हो रहा है. सीएचसी की दूरी अधिक होने से प्रखंड की आधी आबादी डुमरिया सीएचसी और निजी चिकित्सा व्यवस्था पर निर्भर है. मुसाबनी में एक अतिरिक्त सीएचसी खोलने की मांग भी ग्रामीण करने लगे हैं. इसके लिए कई तरह के आंदोलन भी किये जा चुके हैं.

3. डिग्री कॉलेज नहीं :

मुसाबनी के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए डिग्री की पढ़ाई के लिए घाटशिला कॉलेज जाना पड़ता है. सुदूर गांव की युवतियों को घाटशिला आवागमन में परेशानी होती है. लंबे समय से मुसाबनी में डिग्री कॉलेज खोलने की मांग की जा रही है. ताकि मुसाबनी के साथ गुड़ाबांदा और डुमरिया प्रखंड के गांव के विद्यार्थी आसानी से डिग्री की पढ़ाई कर सकें.

4. तकनीकी संस्थान का अभाव :

मुसाबनी वर्षों से खनन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. लेकिन मुसाबनी और आसपास के क्षेत्र में एक भी तकनीकी संस्थान नहीं है. तकनीकी संस्थान नहीं होने से इस क्षेत्र के युवा तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने से वंचित हैं.

5. कई गांवों में सड़कें नहीं, आवागमन में परेशानी : मुसाबनी प्रखंड के कई गांव आज भी सड़क से नहीं जुड़े हैं. कई गांवों में पानी का संकट है. इसके साथ ही सुदूर गांव में मोबाइल नेटवर्क की समस्या है. गांव के लोगों की परेशानी के समाधान के प्रयास अब तक नहीं हुए हैं. क्षेत्र के किसानों के खेत में सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. अधिकांश चेकडैम बेकार हैं. लिफ्ट सिंचाई योजना बंद पड़ी है. किसान अपने स्तर से सिंचाई की व्यवस्था कर खेती करते हैं. प्रखंड से होकर सुवर्ण रेखा दायीं नहर गुजरती है.

6. मुसाबनी स्टैंड में यात्री सुविधाएं नहीं :

मुसाबनी बस स्टैंड में यात्री सुविधाओं का अभाव है. इस अंतर राज्यीय बस पड़ाव में यात्री शेड, शौचालय और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है. एचसीएल की खदानों की बंदी के बाद मुसाबनी प्रखंड में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी लोग झेल रहे हैं. अब तक समस्याओं के समाधान करने का केवल आश्वासन ही लोगों को मिला है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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