विकास के वादे के बीच लोकसभा चुनाव का प्रचार अपने शबाब पर है, पर एक बार फिर लोगों के स्थानीय मुद्दे चुनाव के दावेदारों की नजरों से ओझल हैं. सीवान संसदीय सीट के अंतर्गत आनेवाले नौतन प्रखंड के दर्जनभर गांवों के लोगों के लिए यूपी के सफर के लिए चचरी पुल ही सहारा है, जहां पक्का पुल निर्माण की उम्मीद ग्रामीण लंबे समय से लगाये हुए हैं. इसके बाद भी अब पुल निर्माण न होने से हर दिन जान जोखिम में डाल कर बड़ी संख्या में लोग आते-जाते हैं. झरही नदी के एक छोर पर नौतन थाना क्षेत्र की खलवां खाप बनकट पंचायत के रामनगर तथा दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के श्रीरामपुर थाना क्षेत्र के मिश्रौली गांव है. दोनों राज्यों को जोड़ने के लिए यहां चचरी पुल मौजूद है. भौगोलिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो चार किलोमीटर दक्षिण प्रतापपुर झरही नदी पुल और तीन किलोमीटर उत्तर बंकुल घाट पर पुल मौजूद है. लिहाजा अधिकतर ग्रामीण खतरे के डर से बंकुल घाट पुल से गुजरना जरूरी समझते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस चचरी पुल की जगह पक्का पुल बन जाने से बिहार से और उत्तर प्रदेश का आवागमन काफी आसान हो सकता है. बिहार सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इस चचरी पुल को हटाकर स्थाई पुल का निर्माण आज तक नहीं कर सकी है, जिसके चलते आये दिन सैकड़ों लोग इस चचरी पुल के सहारे उत्तर प्रदेश से बिहार और बिहार से उत्तर प्रदेश जाने के लिए जान को जोखिम में डलते हैं. इसको लेकर पूर्व में अनेक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. सैकड़ों वर्षों से यह चचरी पुल आने-जाने का सहारा बना हुआ है. अभी तक दोनों राज्य की सरकारें समस्या का निनाकरण नहीं कर सकी है. अगर स्थायी पुल का निर्माण कर दिया जाये तो बिहार से उत्तर प्रदेश के पड़री, बखरी, बांगरा बाजार, भाटपार रानी, सालेमपुर, भटनी आदि स्थानों पर सीधा मार्ग तथा उत्तर प्रदेश से बिहार के नौतन, बदली मोड़, तितरा व सीवान जिला मुख्यालय तक सीधा संपर्क बन जायेगा. ऐसे में स्थानीय ग्रामीण लोकसभा चुनाव में यहां आनेवाले उम्मीदवारों से पक्का पुल बनवाने की मांग कर रहे हैं, हालांकि ग्रामीण खुद मान भी रहे हैं, कि तमाम प्रयास के बाद भी इस चुनाव में भी झरही नदी पर चचरी पुल की जगह पक्का पुल निर्माण मुद्दा बनते नहीं दिख रहा है.
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