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किशोरावस्था से ही लड़कियों की होनी चाहिये क्लिनिकल काउंसेलिंग

पश्चिम बंगाल में एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले पर कलकत्ता हाइकोर्ट के एक फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है.

कोलकाता.पश्चिम बंगाल में एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले पर कलकत्ता हाइकोर्ट के एक फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. इसमें युवा लड़कियों को यौन इच्छाओं को नियंत्रित करने की सलाह दी गयी थी. पश्चिम बंगाल सरकार ने भी कलकत्ता हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अभय एस ओक और न्यायाधीश उज्जल भुइयां की बेंच में एमाइकस क्यूरी ने कोर्ट को सुझाव दिया कि लड़की की क्लिनिकल काउंसलिंग कर समुचित परामर्श दिया जाना चाहिये. इसके अलावा एक रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में पेश की जानी चाहिये. सभी लड़कियों को किशोरावस्था से क्लिनिकल काउंसेलिंग करनी चाहिये, ताकि वह सजग हो सकें. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार पहले से ही यह सब करा रही है. हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि हम चाहते हैं कि पीड़ित लड़की की काउंसलिंग पूरी तरह निष्पक्षता से हो. इस पर पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि हम पूरी तरह से किसी भी तरह की सहायता के लिए तैयार हैं. कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए महिला की काउंसलिंग का आदेश दे रहे हैं कि उसने व्यक्ति का चुनाव सोच-समझकर किया है.

हम इस बारे में आश्वस्त होना चाहते हैं. इस पर पीड़ित लड़की के वकील ने कहा कि लड़की उसी आदमी के साथ खुश है और उसके साथ ही रहना चाहती है. इस मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि हम इस पर आदेश पारित करेंगे.

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