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कुत्ते के काटने पर रहें सजग, जरूर लगवाएं एंटी रैबीज का इंजेक्शन

कुत्ते के काटने पर एंटी रैबीज का इंजेक्शन जरूर लगवाएं, नहीं तो आपको अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा. यह इंजेक्शन जिले के सरकारी अस्पतालों में हर जगह उपलब्ध है और निःशुल्क भी है.

सासाराम नगर. कुत्ते के काटने पर एंटी रैबीज का इंजेक्शन जरूर लगवाएं, नहीं तो आपको अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा. यह इंजेक्शन जिले के सरकारी अस्पतालों में हर जगह उपलब्ध है और निःशुल्क भी है. इसके बावजूद भी कुछ लोग लापरवाही बरतते हैं और अपनी जान गंवा बैठते हैं. शहर में कुत्तों का दिन-ब-दिन आतंक बढ़ गया है. पिछले एक वित्तीय वर्ष में करीब 5770 लोगों को कुत्तों ने काटा है. यह आंकड़ा केवल सदर अस्पताल का है. पूरे जिले की अगर बात करें, तो इसकी संख्या 20,000 के आसपास हो जायेगी. हाल ही में काराकाट में एक व्यक्ति की मौत कुत्ते के काटने से हुई है. शुरुआती लक्षण देखने के बाद परिवारवालों ने उनका हर जगह इलाज कराया. लेकिन, उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ और विगत मंगलवार को उनकी मौत हो गयी. वहां के लोग बता रहे हैं कि फरवरी में गांव के चार लोगों को एक कुत्ते के बच्चे ने काटा था, जिसके बाद तीन लोगों ने तुरंत जाकर एंटी रैबीज इंजेक्शन ले लिया था, जबकि इसमें से एक व्यक्ति ने इंजेक्शन नहीं लिया और तीन माह बाद उसकी मौत हो गयी. उसकी लापरवाही का खामियाजा उनका परिवार भुगत रहा है.

तत्काल घाव धोने से बहुत हद तक कम हो जाता है संक्रमण

प्रभारी सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार ने बताया कि रैबीज का वायरस जरूरी नहीं कि प्रत्येक कुत्ते में हो. लेकिन, लोगों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. कुत्ते या बिल्ली के काटने पर तत्काल नल या चापाकल के पानी से धोने से 80 प्रतिशत तक संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. इसके बाद जितनी जल्दी हो सके, अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर एंटी रैबीज इंजेक्शन जरूर लगवाएं. यह सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दिया जाता है.

आंकड़े बता रहे हैं कि जनवरी व फरवरी सबसे खतरनाक

सदर अस्पताल से आये एंटी रैबीज के इंजेक्शन लेनेवालों के आंकड़ों से पता चल रहा है कि शहर में कुत्तों का आतंक मचा हुआ है. वित्तीय वर्ष 2023-24 की बात करें, तो करीब 5770 लोगों ने एंटी रैबीज का इंजेक्शन का पहला डोज लिया है, जिसमें जनवरी और फरवरी माह में इसकी संख्या सबसे अधिक है. जनवरी माह में रैबीज का करीब 642 और फरवरी में 622 लोगों को इंजेक्शन दिया गया है. अगर कुल डोज की बात करें, तो वित्तीय वर्ष में 15,476 लोगों को एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगाया गया है.

शहर में घूम रहे आवारा कुत्ते

बहुत कम ही ऐसे मामले अस्पताल में आते हैं, जिनमें कुत्तों के अलावा दूसरे जानवरों ने काटा होता है. सबसे अधिक एंटी रैबीज का इंजेक्शन लेनेवाले वैसे लोग आते हैं, जिन्हें कुत्तों ने काटा है. हाल के दिनों में शहर में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ गयी है. मुहल्लों में दर्जन भर कुत्ते एक साथ झुंड में देखे जा सकते हैं. इनकी संख्या को लेकर फिलहाल किसी को चिंता नहीं है. न तो नगर निगम इन कुत्तों को पकड़ रहा है और न ही कोई संस्था आवारा कुत्तों के लिए आगे आयी है.

नर्वस सिस्टम को करता है प्रभावित

रैबीज वायरस रैब्डोवायरस परिवार का एक आरएनए वायरस है, जो व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. एक बार यह नर्वस सिस्टम के अंदर पहुंच जाता है, तो वायरस मस्तिष्क में तीव्र सूजन पैदा करता है, जिससे जल्द ही कोमा और मौत हो सकती है. रैबीज दो प्रकार के होते हैं. पहला प्रकार, फ्यूरियस या एन्सेफेलिटिक रैबीज 80 प्रतिशत मानव में होता है और इससे पीड़ित व्यक्ति को हाइपरएक्टिविटी और हाइड्रोफोबिया का ज्यादा अनुभव हो सकता है. दूसरा प्रकार, जिसे लकवाग्रस्त या डंब रैबीज कहा जाता है, जिसमें लकवा मारना एक प्रमुख लक्षण है. रैबीज के लक्षण समान हो सकते हैं और कई दिनों तक रह सकते हैं. इनमें बुखार, सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी करना, घबराहट, चिंता, कन्फ्यूजन, हाइपरएक्टिविटी, निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार आना, बुरे सपने आना, अनिद्रा, पार्शियल पैरालिसिस आदि प्रमुख होते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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