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पट खुलते ही भगवान बद्री नारायण के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

पट खुलते ही शुक्रवार को भगवान बद्री नारायण के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी.

दरभंगा. पट खुलते ही शुक्रवार को भगवान बद्री नारायण के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी. स्थानीय से लेकर दूर-दराज से श्रद्धालु पूजा-अर्चना व दर्शन के लिए पहुंचे थे. श्रद्धालु भगवान को चढ़ाने के लिए चना दाल व मिश्री, अगरबत्ती, फूल-माला साथ लिये थे. दर्शनार्थियों में महिला श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रही. लाइन लगाकार गर्भ गृह के चौखट तक दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को अनुमति दी गई. पूजा-अर्चना बाद भक्तों ने मेला का लुत्फ उठाया. मंदिर को फूलों से सजाया गया है. सजावट से मंदिर की खूबसूरती देखते बन रही थी. दर्शन करने में श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर मंदिर प्रबंधन व्यवस्था में लगातार जुटा रहा. सुरक्षा को चाक-चौबंद करने में पुलिस बल लगे थे.

मनीगाछी.

अक्षय तृतीया के अवसर पर शुक्रवार को सकरी स्थित ब्रह्मपुर महावीर मंदिर में राधाकृष्ण मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की गयी. मूर्ति को जयपुर से लाया गया है. इसमें प्रफुल्ल बाबू झा का विशेष योगदान है. मौके पर चंदन झा, किशोर झा, सुरेश झा, नरेश झा उमेश झा , कमलनाथ मिश्रा, महेश साहू, राजू मंडल, मनोज झा, सुनील साहू, राजा झा, आनंद मंडल आदि मौजूद थे.

जाले.

ब्रह्मपुर पश्चिमी पंचायत स्थित पौराणिक एवं धार्मिक महत्त्व के गौतम कुंड के राम पंचायतन मंदिर व रतनपुर के चैतन्य कुटी में शुक्रवार को अक्षय तृतीया के अवसर पर विधि-विधानपूर्वक विशिष्ट पूजा की गयी. मौके पर दोनों स्थानों पर दर्जनों श्रद्धालु उपस्थित थे. गौतम कुंड में स्थान के संरक्षक महावीर शरण दास की देख रेख में आचार्यों ने पूजा की. इसके बाद अक्षय तृतीया का महत्व बताते हुए आचार्य ने बताया कि आज ही के दिन मां गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था. मां अन्नपूर्णा का भी जन्म आज ही के दिन हुआ था. महर्षि परशुराम का जन्म आज के ही दिन हुआ था. द्रोपदी को चीरहरण से भगवान श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन उसे बचाया था. कृष्ण व सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था. कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था. सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ आज ही के दिन से हुआ था. ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था. प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्री नारायण का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है. बृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्रीविग्रह चरण के दर्शन होते हैं. ऐसे वह साल भर वो वस्त्र से ढके रहते है. आज के ही दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था. बताया कि अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है. इस दिन कोई भी शुभ कार्य का प्रारंभ किया जा सकता है. आज के दिन किए गए पूजापाठ का कभी क्षय नहीं होता.

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