उच्च जोखिम वाले प्रसव मामलों की पहचान व प्रबंधन में हो रही है आसानी
राज्य के 106 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जा रहा है. इसके सुरक्षित मातृत्व को लेकर गर्भवती महिलाओं की जांच की जाती है. हर माहीने की नौ एवं 21 तारीख को गर्भवती महिलाओं के लिए शिविर आयोजित किया जाता है. राज्य के अन्य शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी अभियान को जल्द शुरू करने की दिशा में पहल की जा रही है.
अभियान के तहत उच्च जोखिम वाले प्रसव के केस की गहनता से जांच की जाती है. इस दौरान गर्भवती महिला की सघन स्वास्थ्य जांच में हाइ रिस्क डिलिवरी की पहचान होती है, जिसका प्रसव के समय प्रबंधन में आसानी रहती है. उच्च जोखिम प्रसव के मामलों को अविलंब रेफर किया जाता है, जिससे गर्भवती महिला का समुचित इलाज किया जा सके. शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अगर चिकित्सक की कमी हो तो निजी चिकित्सकों की सेवा ली जाती है और इसके लिए उन्हें भुगतान किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये जा रहे प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का मुख्य उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है. इसमें गर्भवती महिलाओं की मुफ्त में उच्च रक्तचाप, वजन, शारीरिक जांच, मधुमेह, एचआइवी एवं यूरिन के साथ जटिलता के आधार पर अन्य जांच की जाती है. जांच में एनीमिक महिला को आयरन फोलिक एसिड की दवा देकर इसके नियमित सेवन की सलाह दी जाती है. उन्हें गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाने की सलाह दी जाती है. विशेषज्ञों के अनुसार, एक्सटेंडेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में तीन अतिरिक्त प्रसव पूर्व जांच करायी जाती है, जबकि पूरे गर्भकाल के दौरान महिलाओं को चार प्रसव पूर्व जांच कराने की सलाह दी जाती है. पहली जांच गर्भधारण से लेकर 12 वें सप्ताह तक, दूसरी जांच गर्भधारण के 14 वें से लेकर 26 वें सप्ताह तक, तीसरी जांच गर्भधारण के 28 वे से 34 वें सप्ताह तक और आखिरी जांच 36 वें सप्ताह से लेकर प्रसव होने के पहले तक करायी जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है