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शवदाह गृह निर्माण के औचित्य पर उठे सवाल

लोग यह पूछने लगे हैं कि नदी के पेट में निर्माण कार्य पर निगम या प्रशासनिक महकमा आखिर खामोश क्यों हैं

पूर्णिया. शहर में निर्माणाधीन शवदाह गृह तैयार होने से पहले सवालों के दायरे में आ गया है और सरकार के धनराशि के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया जाने लगा है. लोग यह पूछने लगे हैं कि नदी के पेट में निर्माण कार्य पर निगम या प्रशासनिक महकमा आखिर खामोश क्यों हैं. लोगों को पूरी आशंका है कि पिछले शवदाह गृह की तरह निर्माणाधीन गृह भी बरसात में नदी की उफनती नदी में विलीन हो जाएगा. नागरिकों ने प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी और नगर आयुक्त से इसकी उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है. गौरतलब है कि शहर के बीचों बीच गुजरने वाली सौरा नदी में कप्तान पुल के समीप शवदाह गृह का निर्माण उस जगह पर किया जा रहा है जिसे नदी का पेट कहा जाता है और बरसात के समय पानी का बहाव काफी तेज रहता है. यह माना जा रहा है कि सिमेंट पर बन रहा गृह पानी के तेज बहाव को बर्दाश्त नहीं कर पाएगा और उसमें बह जाएगा. नए शवदाह गृह का निर्माण 8 करोड रुपए की लागत से कराया जा रहा है. हालांकि निर्माण स्थल पर अभी पानी नहीं है पर बरसात में अब कुछ महीने ही शेष बचे हैं जिसमें वहां तक जाना भी मुश्किल हो जाएगा. तकनीकी जानकारों का कहना है कि नदी से कम से कम 100 फीट तक कोई निर्माण नहीं कराया जा सकता पर यहां तो बीच नदी में काम चल रहा है. निगम के कई पार्षद एवं पार्षद प्रतिनिधियों ने भी इस पर सवाल खड़ा किया है जबकि सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सिंह ने जिला पदाधिकारी को इस घालमेल से अवगत कराया है और जांच एवं कार्रवाई की मांग की है. पत्र में जिलाधिकारी को बताया गया है कि वर्ष 2011-12 में करीब 36 लाख रुपये की लागत से इस जगह पर शवदाहगृह और शेड का निर्माण हुआ था जो उपयोग होने से पहले बरसात के समय नदी में विलीन हो गयी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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