घर-परिवार की समृद्धि, पति-पुत्र के दीर्घायु व पुत्र प्राप्ति के लिए मनाया जाता है पर्व
प्रतिनिधि, ग्वालपाड़ा
प्रखंड क्षेत्र के गांवों में महिलाओं ने सत्ता विप्ता की कथा सुनकर रविवार को डोरा पर्व का समापन किया. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार घर-परिवार की समृद्धि, पति-पुत्र के दीर्घायु की कामना एवं पुत्र प्राप्ति के लिए मनाए जाने वाला लोक आस्था का पर्व डोरा भक्तिभाव से मनाया जाता है. इस सिलसिले में रविवार को ग्रामीण महिलाओं ने गाय के बथान पर श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना कर माता सप्ता-विप्ता की कथा सुनी. व्रती महिलाओं ने बताया कि यह पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष के परीव तिथि से आरंभ होकर वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के आखिरी रविवार तक चलता है. इस बीच प्रत्येक रविवार को व्रती महिलाएं गाय के बथान में कलश स्थापित कर पूरे विधि विधान एवं नियम निष्ठा से माता सप्ता और विप्ता की अराधना करती हैं. पूजा के दौरान मिठाई, फल, पकवानों का भोग लगाकर सूत का डोरा धारणकर कथा सुनती है. कथा समापन पर कलश में अर्घ दिए जाने के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है. वहीं छह महीने तक रविवार को नमक वर्जित करने वाले पुरुष एवं महिला ब्राह्मण को भोजन करा उन्हें दक्षिणा देकर उनसे नमक प्राप्त कर ग्रहण करते हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है