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इंटरस्तरीय स्कूलों में विषयवार नहीं हैं शिक्षक, विद्यार्थियों की पढ़ाई पर असर

जिला के इंटर स्तरीय विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों कि कमी बरकरार है

समस्तीपुर. जिला के इंटर स्तरीय विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों कि कमी बरकरार है. जिसके कारण इंटर में पढ़ाई के लिए छात्र- छात्राओं को कोचिंग का सहारा लेना पड़ता है. 2 विद्यालयों में विषयवार शिक्षक नहीं रहने के कारण छात्र-छात्राओं कि पढ़ाई सही से नहीं हो पाती है. इंटर में कई प्रमुख विषय है. खासकर अंग्रेजी, विज्ञान और हिंदी गणित शिक्षकों की भी भारी कमी है. काॅलेजों से इंटरस्तरीय पढ़ाई बंद कराने की घोषणा के बाद छात्र छात्राओं में काफी आक्रोश है. बताते चलें कि वर्ग 9 वीं व 10 वीं में फिलवक्त अंग्रेजी के 136, विज्ञान के 96, गणित के 56, सामाजिक विज्ञान के 55, संस्कृत के 149, उर्दू के 36, हिन्दी के 91 व 11 वीं व 12 वीं में जंतु विज्ञान के 17, वनस्पति विज्ञान के 68, रसायन शास्त्र 140, गणित में 51, भौतिकी के 32, भूगोल के 20, इतिहास के 87 विषयवार पद रिक्त हैं. विषयवार शिक्षक नहीं होने से बच्चों की उपस्थिति कैसे बढ़ेगी जबकि सरकार दावा करती है, कि सभी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक प्रतिनियुक्त हैं. पढ़ाई ठीक तरीके से हो रही है, लेकिन सवाल यही उठ रहा है कि आखिर जब शिक्षक ही विषयवार नहीं है तो फिर बच्चों कि पढ़ाई कैसे हो पायेगा. जिला में एक तरफ शिक्षकों कि भारी कमी है. इस स्थिति में शिक्षा विभाग के अपर सचिव का कड़ा तेवर और निरीक्षण भी बेकार साबित होगा. कारण कि बच्चों की उपस्थिति बढ़ेगी. बढ़ा भी है. लेकिन शिक्षक ही नहीं हैं तो शिक्षा कौन देगा यह गंभीर विषय है. जब तक शिक्षकों की कमी पूरी नहीं होगी. शिक्षा पटरी पर नहीं लौटेगा. इस विषय पर ही गंभीरता से सोचने के जरूरत है. सरकार की ओर से शिक्षण कार्य को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों कि बहाली कि गई. लेकिन इसके बाद भी विद्यालयों में विषयवार शिक्षक नहीं मिल पाये. नतीजा है कि छात्रों को कोचिंग का लेना पड़ रहा है. विद्यालय में विषयवार शिक्षक नहीं रहने के कारण सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को कोचिंग का सहारा लेना पड़ रहा है. सुबह से ही छात्र- छात्राएं स्कूल न जाकर कोचिंग सेंटर का रुख कर लें रहे हैं. जिसके कारण गांव से लेकर शहर तक कोचिंग सेंटरों का भरमार है. हर बाजार में छोटे बड़े कोचिंग संस्थान खुल गये हैं. जहां पर जाकर छात्र-छात्राएं पढ़ाई करने पर मजबूर हैं. सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या का फायदा सीधे-सीधे कोचिंग संस्थान या निजी विद्यालय उठा रहे है. सरकारी स्कूल में पढ़ाई के लिए अनुकूल वातावरण नहीं होने के कारण जिले के हर छोटे बड़े बाजारों में जिला शहर में कोचिंग का भरमार है. जहां पर सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेकर छात्र छात्राएं पढ़ने जाती है. आम लोगों को भी सरकारी विद्यालय की शिक्षा पर फिलहाल विश्वास नहीं है. इसलिए कोचिंग संस्थान पर ही ज्यादा भरोसा कर रहे हैं. शिक्षा विभाग के सचिव ने शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 में निहित प्रावधान के आलोक में प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात में शिक्षकों के सामंजन करने के लिए तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया था. विभाग ने शिक्षकों के सामंजन आदेश निर्गत करने के लिए अंतिम तिथि 10 नवंबर 2016 निर्धारित किया था. शिक्षा विभाग के तत्कालीन सचिव जितेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा 7 अक्टूबर 2016 को जारी आदेश का अनुपालन आज तक नहीं हो सका. शिक्षा सचिव ने जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को लिखे पत्र में कहा है कि प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात में शिक्षकों का सामंजन इकाई सहित करने का निर्देश वर्ष 2007 में ही निर्गत किया गया था. परंतु यह कार्रवाई अभी तक पूरी नहीं हुई. शिक्षक छात्र अनुपात में शिक्षकों का सामंजन नहीं होने से वैसे विद्यालय जहां छात्र की संख्या कम है और शिक्षकों की संख्या अधिक है, वैसी स्थिति में अतिरिक्त कार्यरत बल का शैक्षणिक कार्य के लिये सही उपयोग नहीं हो रहा है. वैसे विद्यालय जहां छात्र की संख्या अधिक है तथा शिक्षक कम हैं, वैसे विद्यालय में शिक्षक के अभाव के कारण शैक्षणिक कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. एक शिक्षकीय विद्यालय अथवा शिक्षकविहीन विद्यालय में शिक्षक पदस्थापित नहीं होने के कारण अन्य विद्यालय के शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति कर पठन पाठन का कार्य किया जा रहा है. शिक्षा सचिव ने शिक्षक सामंजन हेतु दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि ऐसे विद्यालय जहां छात्र के अनुपात में बेसिक ग्रेड के शिक्षकों की संख्या ज्यादा है उसे पूर्ण आंकड़ों सहित चिह्नित किया जाय तथा यह सुनिश्चित किया जाय कि ऐसे विद्यालय के पोषक क्षेत्र से छह से चौदह आयु वर्ग के इस विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों की संख्या के अनुपात में कितने शिक्षक इकाई अधिक हो जाते हैं. ऐसे विद्यालय की भी पहचान की जाय जहां बेसिक ग्रेड के अतिरिक्त शिक्षक इकाई की आवश्यकता है. छात्र संख्या एवं शिक्षक संख्या से संबंधित आंकड़ों की विश्वसनीयता की जवाबदेही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की होगी. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा तैयार किये गये सामंजन प्रस्ताव की जांच जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा की जायेगी. शिक्षकों के सामंजन का प्रस्ताव तैयार करने के क्रम में वरीयता के आलोक में कनीय शिक्षक को सामंजित किया जाय. यथा संभव विकलांग एवं महिला शिक्षक का सामंजन नहीं किया जाय. परंतु जिस विद्यालय में सिर्फ महिला शिक्षक है वैसी स्थिति में महिला शिक्षकों का भी सामंजन करने का प्रावधान है. सचिव ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को इकाइवार तथा विद्यालयवार सामंजित होने वाले शिक्षकों की सूची संबंधित नियोजन इकाई के सदस्य सचिव को उपलब्ध करा देने का निर्देश दिया था.

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