पूसा. डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पादप रोग व नेमेटोलॉजी विभागाध्यक्ष सह अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ एसके सिंह ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए डिजिटल एग्रीकल्चर व सेंसर-संचालित खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है. स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय के केला प्रयोगात्मक क्षेत्र में स्मार्ट खेती के लिए डेटा संचालित एक मशीन लगायी गयी है. इसका नाम उन्होंने फसल बताया. डॉ सिंह ने कहा कि एक्सपेरिमेंटल फील्ड में मशीन लगने से रोग व कीड़ा से जुड़े शोध में गति मिलेगी. इस मशीन के लगने से वातावरण के विभिन्न मापदंड व केला के पौधा के बीच के संबंधों को समझने व नये अनुसंधान की दिशा में योजना बनाना आसान होगा. उन्होंने इसे डिजिटल एग्रीकल्चर व सेंसर आधारित स्मार्ट खेती के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया. मशीन से जुड़ी जानकारी देते हुए कहा कि यह सौर ऊर्जा (सोलर) से संचालित होता है. इसमें सीम व कई सेंसर लगे हैं जो खेत में लगे कृषि के आसपास के जलवायु व सूक्ष्म जलवायु के कारक अधिकतम व न्यूनतम तापक्रम व वायु के दबाव व गति, मृदा की नमी, मृदा का तापमान, मिट्टी की नमी एवं खेत में लगी फसलों के विकास के अलावा किसानों को रोग व कीड़ा के आक्रमण से जुड़ी जानकारी समय से देकर किसानों को सावधान करता है. यह मशीन किसानों को भविष्य के मौसम से कृषि से जुड़े जोखिम के बारे में संकेत देता है. कहा कि यह मशीन किसानों को खेत में लगे फसलों की अवस्था व मिट्टी की विशेषता के आधार पर फसल में कब कितनी सिंचाई करनी है, अलर्ट जारी कर किसान को सावधान करता है.
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