हिमांशु देव, पटना शहर के लोगों को ताजी मछलियों के विभिन्न उत्पादों को उपलब्ध कराने के लिए 2021 में मोबाइल फिश कियोस्क वाहन दिये गये थे़ इन वाहनों का संचालन कंकड़बाग व बेऊर मोड़ पर किया जा रहा था. इसमें फिश करी, ड्राइ फिश करी, फिश राइस, फिश रोटी, फिश कटलेट, लेमन पेपर फिश फ्राइ जैसे 15 से अधिक डिश तैयार किये जाते थे, जिन्हें शहर के लोग बड़े चाव से लिया करते थे. लेकिन, वर्तमान में कहीं भी ये वाहन काम नहीं कर रहे हैं. कंकड़बाग में चल रहा ‘फिश ऑन व्हील्स’ वाहन गोलघर स्थित यातायात संचालन कार्यालय मेें खड़ा है, जबकि बेऊर मोड़ पर चल रहे कॉफेड का वाहन डमडम पार्क में लगा है. लंबे समय से इन वाहनों का संचालन बंद रहने के बावजूद मत्स्य विभाग न कोई संज्ञान ले रहा है न कोई कार्रवाई कर रहा है. यहां के अधिकारी इसकी जानकारी देने से भी बचते हैं.
न्यूनतम पांच साल करना था संचालन
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 2020-21 में पटना में दो मोबाइल फिश कियोस्क वाहन का लक्ष्य था. योजना के तहत एक वाहन की लागत 10 लाख रुपये थी. इसमें करीब 60 फीसदी तक अनुदान मिलता था. वाहन में एसीपी और स्टेनलेस स्टील युक्त एमएस फ्रेमिंग, गैस सिलिंडर के साथ दो चूल्हे, बैटरी, जेनरेटर, इन्वर्टर, डीप फ्रिजर, बेसिन, कुड़ेदान व अन्य चीजें होने आवश्यक थे. वहीं, मत्स्य विपणन के लिए वाहन का प्रयोग न्यूनतम पांच वर्षों तक लगातार करने की जिम्मेदारी लाभुक को थी, अन्यथा प्रक्रिया के अनुसार राशि का वसूली की जानी थी.
बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ लिमिटेड (कॉफेड) के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने बताया कि करीब 18 महीने तक उन्होंने गाड़ी का संचालन किया. नगर निगम अतिक्रमण टीम द्वारा शहर के किसी इलाके में सड़क किनारे वाहन को नहीं लगाने दिया जा रहा है, जिससे जनवरी, 2024 से बंद यह है. इस पर विधानसभा में भी सवाल उठ चुका है. इस संबंध में मैंने मत्स्य विभाग को भी पत्र लिखा है. अब तक कोई जवाब नहीं मिला है, जबकि सड़क किनारे वाहन लगाने के लिए डीएम व जिला मत्स्य पदाधिकारी ने स्वीकृति दी है.
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