राजगंज.
ईश्वर के प्रति भक्ति की कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं है. आपके ह्रदय व मन में जब और जिस समय अपने प्रभु के प्रति भाव आए, भक्ति शुरू कर देनी चाहिए. उक्त बातें धारकीरो में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथावाचक आचार्य कन्हैया द्विवेदी जी महाराज ने कही. उन्होंने ध्रुव चरित्र का वर्णन किया. कहा कि बालक ध्रुव ने पांच साल की उम्र में भगवान को प्रसन्न कर लिया था. उन्होंने कहा कि युवावस्था का काल ऐसा है जब किसी माया में पड़कर पथ भ्रष्ट हो जाते हैं. अत: भौतिकवाद से बचने के लिए अध्यात्म के मार्ग को अपनाना आवश्यक है. उन्होंने मांसाहार को त्यागने पर बल दिया. आयोजन स्थल पर भागवत कथा श्रवण करने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु जुट रहे हैं. आयोजन को सफल बनाने में नकुल चंद्र तिवारी, सत्यनारायण तिवारी, विद्याधर तिवारी, कांति प्रसाद तिवारी, मनोहर तिवारी, ज्ञान चंद तिवारी, मंजीत तिवारी, दुलाल तिवारी समेत ग्रामीण सक्रिय हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है