रांची (विशेष संवाददाता). बिरसा कृषि विवि के बिजनेस प्लानिंग एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के सीइओ सह अमृत कृषि विशेषज्ञ सिद्धार्थ जायसवाल ने कहा है कि गो कृषि आधारित प्राकृतिक खेती से प्राप्त कृषि उत्पाद न केवल हानिकारक रसायनों के दुष्प्रभावों से मुक्त होते हैं, बल्कि उनमें पोषक तत्वों की मात्रा भी अधिक होती है. अनाज, फल एवं सब्जी में प्रोटीन, विटामिन आयरन, मिनरल आदि की उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती ही एकमात्र रास्ता है. ऐसे उत्पादों के सेवन से ही शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी. श्री जायसवाल सोमवार को कांके स्थित सुकुरहुट्टू गोशाला में प्राकृतिक खेती पर व्याख्यान दे रहे थे. उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से कृषि उत्पादों में पोषक तत्वों की उपलब्धता लगातार घट रही है और कैंसर जैसी बीमारी फैल रही है. गोबर का इस्तेमाल कास्ट बनाने के बजाय खेतों में करना चाहिए. देशी गाय के गोमूत्र में 500 प्रकार के माइक्रोब्स हैं, जो मिट्टी का स्वास्थ्य संवर्द्धन करते हैं. उन्होंने कहा कि खेती में देशी बीज, अमृत जल और अमृत मिट्टी के इस्तेमाल से पोषक तत्वों की उपलब्धता में पर्याप्त वृद्धि होती है. जर्सी और होल्सटीन फ्रिजियन नस्ल की गाय एक जीव मात्र है, सच्चे अर्थों में गाय नहीं है. इससे पूर्व रांची गोशाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष पुनीत कुमार पोद्दार ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि सुकुरहुट्टू और हुटूप गोशाला में गो आधारित प्राकृतिक कृषि का विस्तृत मॉडल स्थापित किया जायेगा. प्रबंधन समिति परिसर में पंचगव्य चिकित्सा केंद्र स्थापित करने की संभावना पर भी विचार करेगी. इस अवसर पर गोशाला के सचिव प्रदीप राजगढ़िया, गोशाला ट्रस्ट के अध्यक्ष रतन जालान, उपाध्यक्ष एसएन राजगढ़िया, कोषाध्यक्ष दीपक पोद्दार, मुरारी लाल अग्रवाल, पंकज वत्सल, भानु प्रसाद जालान, आरके चौधरी, प्रकाश काबरा, अमरजीत गिरधर, सुरेश जैन, मनीष लोधा आदि उपस्थित थे.
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