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Saharsa News : 125 करोड़ की लागत से कोसी इलाके में बनेगा मेमू शेड

कोसी इलाके में समस्तीपुर डिवीजन का पहला मेमू शेड खुलेगा. यदि सहरसा में जमीन मिली, तो यहीं मेमू शेड बनाने को प्राथमिकता दी जायेगी. चुनाव समाप्ति के बाद अगले माह प्रपोजल तैयार होगा.

Saharsa News : नीरज कुमार, सहरसा. कोसी क्षेत्र में समस्तीपुर डिवीजन का पहला मेमू शेड खुलेगा. अमृत भारत स्टेशन के बाद रेलवे द्वारा कोसी इलाके के लिए यह दूसरी बड़ी उपलब्धि होगी. मेमू शेड के निर्माण के लिए रेलवे द्वारा कवायद तेज कर दी गयी है. रेल सूत्रों की मानें तो चुनाव समाप्ति के बाद अगले महीने जून में इसका प्रपोजल तैयार कर हेड क्वार्टर व रेलवे बोर्ड को भेजा जायेगा. अगर सब कुछ ठीक रहा व रेलवे बोर्ड इसके लिए स्वीकृति दे देती है, तो मानसून के बाद निर्माण कार्य शुरू हो सकेगा.

सहरसा या बुधमा में बनेगा शेड

डिवीजन का पहला मेमू शेड सहरसा या बुधमा में बनेगा. हालांकि पहले प्राथमिकता सहरसा को दी गयी है. बीते मार्च महीने में ही रेल अधिकारियों की टीम सहरसा जमीन निरीक्षण के लिए पहुंची थी. लेकिन जमीन को लेकर संतुष्ट नहीं होने की वजह से टीम बुधमा भी जमीन सर्वे को लेकर निरीक्षण कर चुकी है. हालांकि रेल सूत्र की माने तो सहरसा जंक्शन से हटकर रेल की जमीन पर ही मेमू शेड का निर्माण करने की योजना है. अगले महीने फिर अधिकारियों की टीम सहरसा जंक्शन जमीन सर्वे को लेकर पहुंचेगी.

125 करोड़ की लागत से बनेगा मेमू शेड

करीब 125 करोड़ की लागत से मेमू शेड का निर्माण होना है. जो समस्तीपुर डिवीजन का पहला मेमू शेड होगा. इसके बाद सहरसा, समस्तीपुर, दरभंगा, जयनगर, रक्सौल, बरौनी, कटिहार, खगड़िया, मानसी, मुजफ्फरपुर, सोनपुर, नरकटियागंज, सीतामढ़ी जाने वाली मेमू ट्रेन का मेंटेनेंस हो सकेगा. सोनपुर मंडल में मेमू रैक का मेंटेनेंस के लिए अधिक लोड है. जिस वजह से पहले प्रपोजल सहरसा जंक्शन के लिए तैयार किया गया है.

वर्ष 2026 तक बनकर होगा तैयार

सहरसा में मेमू ट्रेन शेड वर्ष 2026 तक बनकर तैयार होना है. रेलवे बोर्ड से स्वीकृति मिलने के बाद इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया जायेगा. फिलहाल डिवीजन के रेल अधिकारी प्रपोजल तैयार करने में जुटे हैं. जिसे अगले महीने रेलवे बोर्ड को स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा. मेमो शेड के लिए सहरसा में जितनी जमीन की जरूरत पड़ेगी जरूरत के हिसाब से ली जायेगी. मेमू शेड 125 मीटर लंबा होगा एवं करीब 25 मीटर चौड़ा होगा. मेमू ट्रेन शेड खुलने के बाद एक साथ चार मेमू ट्रेन का मेंटेनेंस हो सकेगा. ट्रेन के पार्ट्स भी बदले जायेंगे. वर्ष 2024 में इस प्रोजेक्ट को सैंक्शन मिला है. मेमू ट्रेन की अधिकतम स्पीड 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. सभी रेलखंड पर चालू होने के बाद समय की भी बचत होगी.

अभी सोनपुर मंडल मेंटेनेंस के लिए भेजा जाता है रैक

वर्तमान में मेमू ट्रेन का रैक मेंटेनेंस के लिए सोनपुर मंडल भेजा जाता है. हालांकि सहरसा सहित समस्तीपुर डिवीजन में अभी करीब 20 से 25 मेमू ट्रेन का परिचालन किया जा रहा है. इसके अलावा डेमू ट्रेन चलती है. जिसमें समस्तीपुर सहरसा, समस्तीपुर कटिहार, समस्तीपुर जयनगर, समस्तीपुर मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर बरौनी स्टेशन शामिल है. सहरसा में चार से पांच जोड़ी मेमू ट्रेन का परिचालन किया जा रहा है. अब जल्द ही सहरसा, सुपौल, सरायगढ़ व सहरसा मधेपुरा के बीच मेमू ट्रेन का परिचालन हो सकेगा. जिनकी समय सारणी जारी कर दी गयी है.

2024 के अंत तक सिर्फ मेमू ट्रेन का होगा परिचालन

पूरे डिवीजन में विद्युतीकरण का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है. वर्तमान में ललित ग्राम से फारबिसगंज, सरायगढ़ से निर्मली, झंझारपुर दरभंगा व बनमनखी से बिहारीगंज तक विद्युतीकरण कार्य चल रहा है. जहां विद्युत इंजन से ट्रेन का परिचालन नहीं किया जा रहा है. वहां डेमू ट्रेन का परिचालन किया जा रहा है. रेल अधिकारियों की माने तो मार्च 2024 तक पूरे डिवीजन जहां काम शेष बचे हैं विद्युतीकरण पूरा हो जायेगा एवं सभी जगह डेमू के बदले मेमू ट्रेन का परिचालन किया जायेगा.

मेमू ट्रेन परिचालन से ईंधन व समय की होती है बचत

मेमू ट्रेन के परिचालन से ईंधन एवं समय की बचत होती है. इस ट्रेन का परिचालन विद्युत से होता है. खास बात यह है कि मेमू ट्रेन कम समय में अधिक स्पीड पकड़ लेती है. कम समय में रफ्तार भी धीमी हो जाती है. खास बात यह है कि इस ट्रेन के परिचालन से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है.

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