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Banka News : महंगाई ऐसी बढ़ी कि लोग अब परवल की सब्जी नहीं, चटनी खाते हैं

जिले में सब्जी, दाल व अन्य खाद्य पदार्थों के दामों में बेतहाशा वृद्धि से लोगों को खाने-पीने में भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मेहमान आने पर दाल बनती है. बीमार पड़ते हैं, तो फल खाते हैं.

Banka News : चंदन कुमार, बांका. सखी सैयां तो खूबै कमात हैं, महंगाई डायन खाये जात है… यह गीत इन दिनों रियल लाइफ की कहानी बन गयी है. हाल के दिनों में बढ़ी महंगाई से हर तबका परेशान है. घर का बजट बिगड़ गया है. रसोई से दाल व सब्जी गायब हो रही है. महंगाई का सबसे ज्यादा असर गरीब व मध्य वर्गीय परिवार पर पड़ा है. नतीजा यह है कि लोग बगैर दाल व सब्जी के भोजन करने को विवश हो रहे हैं. जबकि सब्जी विक्रेताओं की मानें तो तेज धूप व पानी की किल्लत से सब्जी की फसल को नुकसान हो रहा है. इसका सीधा असर सब्जी के उत्पादन पर पड़ा है. इस कारण हरी सब्जी के दाम में दो गुना तक बढ़ोतरी हो गयी है. हालांकि जरूरी अनाज चावल, दाल, आटा तक महंगा हो गया है. इसमें कोई भी परिवार चाह कर भी कटौती नहीं कर सकता है.

तेज धूप ने सब्जी के उत्पादन पर डाला असर

बांका जिले में इस बार पारा 42 डिग्री के पार रहा. तेज धूप की वजह से सब्जी की फसल को भारी नुकसान पहुंच रहा है. इसका सीधा असर सब्जी के उत्पादन पर पड़ा है. हरी सब्जी के दाम में दो गुना तक बढ़ोतरी हो गयी है. भिंडी, करेला 40 रुपये किलो की दर से बाजार में बिक रहे हैं. पिछले माह तक ये दोनों सब्जियां 25 से 30 रुपये किलो की दर से बिक रही थीं. इसी तरह परवल 50 से 60 रुपये किलो की दर से बिक रहा है. कटहल, टमाटर, कद्दू, पपीता, आलू के दाम में भी वृद्धि हो गयी है. इससे लोगों के किचन से अब सब्जी भी गायब हो रही है. हरी सब्जी का सेवन नहीं कर पाने के कारण लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है.

सेहत को हो रहा नुकसान

दरअसल आमलोगों से जुड़ी हर खाने-पीने की वस्तु के दाम में इजाफा हो गया है. ऐसी स्थिति में लोगों के सामने विकट समस्या आ गयी है कि आखिर क्या खायें, जो उनकी बजट में हो. महंगाई की वजह से लोग दाल खाना पहले ही छोड़ चुके हैं. अब सब्जी के दाम में इजाफे के कारण सब्जी का इस्तेमाल चटनी के तौर पर करने को विवश हैं. इसका सीधा प्रभाव लोगोंकी सेहत पर पड़ रहा है.

बिगड़ गया घर का बजट

महंगाई की वजह से जब हरी सब्जी, दाल का सेवन नहीं करेंगे, तो शरीर में आवश्यक पोषक तत्वोंकी कमी होगी और लोग बीमार होंगे. महंगाई से घर का बिगड़ा बजट और इससे हो रही परेशानी की चर्चा हर चौक-चौराहे पर हो रही है. महंगाई की वजह से कमोबेश हर तबका परेशान है. शहर के बस स्टैंड निवासी सीलू सिंह, रीता देवी, पुष्पा सिंह आदि ने बताया कि महंगाई ने घर का बजट बिगाड़ कर रख दिया है. हमलोग मध्यवर्गीय परिवार से हैं. इसलिए ज्यादा परेशानी हो रही है. वहीं व्यवसायी रमेश कुमार कहते हैं कि महंगाई ने सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं. इस पर अंकुश लगाने की दिशा में कुछ करना चाहिए. महंगाई ने गरीब की थाली में डाका डाला है.

सप्ताह में एक-दो दिन बन जाती है दाल

इन दिनों दाल के भाव आसमान छूने लगे हैं. गरीब व मध्यवर्गीय परिवार की थाली से भी दाल गायब होने लगी है. इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. चिकित्सक भी दाल खाने की सलाह देते हैं. लोग सप्ताह में एक या दो दिन ही दाल का सेवन कर रहे हैं. प्रतिदिन दाल का सेवन करने से लोगों का बजट बिगड़ रहा है. कई लोग तो मेहमान आने के बाद ही दाल घर में बना पा रहे हैं. जो लोग नियमित दाल खा रहे हैं, अब कम खा रहे हैं. दरअसल कोई भी दाल 130 रुपये से नीचे नहीं है. अरहर की दाल में पहले से आग लगी हुई है. मूंग, उड़द समेत अन्य के दाल भी लोगों के बजट से बाहर हो गयी है.

मौसमी फल के दामों में भी बढ़ोतरी

फलों के दाम बढ़ने से लोग इसका मजा लेने से अब कतरा रहे हैं. मूल्य बढ़ जाने से आमलोग ठीक से भोजन नहीं कर पा रहे हैं, तो फल कैसे खायेंगे. वैसे भी फल तभी लोग खाते हैं, जब उनका पेट भरा हुआ होता है. खाली पेट फल पर्व त्योहार में ही खाते हैं. सेब, मौसमी, अनार, संतरा, केला, तरबूज आदि के दाम में इजाफा हो गया है. हालांकि संपन्न लोग फलों का सेवन कर रहे हैं. उन्हें महंगाई से कोई लेना-देना भी नहीं होता है.

हरी सब्जी का बाजार भाव (प्रतिकिलो में)

परवल 50 से 60 रुपये किलो

करेला 40 से 50 रुपये किलोटमाटर 45 से 50 रुपये किलो

कद्दू 15 से 20 रुपये प्रति पीसभिंडी 35 से 40 रुपये प्रति किलो

नेनुआ 35 से 40 रुपये किलोआलू 18 से 20 रुपये प्रति किलो

कटहल 35 से 40 रुपये किलोबीन्स 35 से 40 रुपये किलो

बैंगन 40 से 45 रुपये किलो

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