कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने एक मामले का फैसला सुनाते हुए कहा कि केवल इसलिए कि निदेशक जारी किये गये नोटिसों का जवाब देने में विफल रहे, इसके आधार पर मूल्यांकन अधिकारी (एओ) प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि धारा 68 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि व्यक्ति और निगम अपने अकाउंट्स में अस्पष्टीकृत नकद क्रेडिट को संबोधित करके अपनी आय का पारदर्शी रूप से खुलासा करें, जिससे ऐसे क्रेडिट की वैधता साबित करने की जिम्मेदारी करदाता पर आ जाये. आयकर आयुक्त द्वारा पारित आदेश में करदाता द्वारा उठाये गये किसी भी आधार पर विचार नहीं किया गया. यह पूरी तरह से बिना सोचे-समझे लिया गया आदेश है. हाइकोर्ट ने न्यायाधिकरण के दिये गये आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि न्यायाधिकरण ने तथ्यात्मक मैट्रिक्स की विस्तृत जांच की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है