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सड़कों पर बढ़ रहे जुगाड़ वाहन

पर बढ़ रहे जुगाड़ वाहनसीवान. जिले के सभी क्षेत्रों में जुगाड़ वाहन की संख्या बढ़ती ही जा रही हैं. जुगाड़ वाहन में ना तो सुरक्षा का कोई इंतजाम है और ना ही तकनीकी सुरक्षा की कोई गारंटी . न तो कोई इन्हें रोकता है और न ही चेक करता है.

सीवान. जिले के सभी क्षेत्रों में जुगाड़ वाहन की संख्या बढ़ती ही जा रही हैं. जुगाड़ वाहन में ना तो सुरक्षा का कोई इंतजाम है और ना ही तकनीकी सुरक्षा की कोई गारंटी . न तो कोई इन्हें रोकता है और न ही चेक करता है. जुगाड़ से बने वाहनों के न तो कोई कागज हैं और न ही बीमा. ये जुगाड़ वाहन जहां सड़कों पर फर्राटा भर नियम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं तो वहीं दुर्घटना को भी आमंत्रण दे रहे हैं.जुगाड़ लगाकर बनाये गये वाहन (बाइक ठेला) बेरोक-टोक गांव से लेकर शहर तक की सड़कों पर दौड़ रहे हैं. पुरानी बाइक, स्कूटर, ऑटो रिक्शा व पंपसेट के इंजन व पुर्जो से तैयार वाहन कहीं भी देखे जा सकते हैं. इनका उपयोग कहीं सवारी तो कहीं माल ढुलाई के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. दिनों दिन इनकी संख्या काफी बढ़ती ही जा रही है. छोटे इलाकों से निकल कर अब इनका उपयोग जिला मुख्यालय के बाजारों व शहर में सीमेंट, बालू, सरिया, लकड़ी की ढुलाई के कार्य में लिया जा रहा है. लोग भले ही जुगाड़ वाहन के सहारे दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हों, लेकिन जागरूकता के अभाव में यह नियम कानून तोडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. वहीं जिम्मेदार विभाग भी ऐसे वाहनों पर कार्रवाई करने से कतरा रहा है. ट्रैफिक थानाध्यक्ष अभय नंदन कुमार का कहना है कि वाहन को मॉडिफाई करना सड़क नियम के विरुद्ध है. चेकिग के दौरान ऐसे वाहनों पर कार्रवाई की जाती है. प्रदूषण के लिए खतरा बना जुगाड़ वाहन जुगाड़ से बने वाहन प्रदूषण फैलाने में भी आगे हैं. इसके लिए न तो प्रदूषण का सर्टिफिकेट है और न ही साइलेंसर ही मानक अनुरूप लगाए गये हैं. इससे इन वाहनों से वायु प्रदूषण के साथ ही ध्वनि प्रदूषण भी हो रहा है. रजिस्ट्रेशन खत्म हो चुकी बाइकों का होता है जुगाड़ वाहनों में इस्तेमाल ज्यादातर जुगाड़ से बने ठेला गाडिय़ों में जिन बाइकों का रजिस्ट्रेशन खत्म हो चुका होता है उन्हीं का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं चोरी की बाइकों के जुगाड़ वाहनों में प्रयोग होने से भी इंकार भी नहीं किया जा सकता. 30 से 40 हजार में तैयार होते हैं वाहन जुगाड ठेला चालकों की मानें तो बाइक ठेला तैयार करवाने में 20-30 हजार रुपये की लागत आती है. कोई भी पुरानी बाइक लेकर रिक्शा ठेला में फिट कर दिया जाता है और ठेला बाइक तैयार हो जाती है. कम लागत के चलते बाइक ठेला लोगों की कमाई का जरिया बन गया है.कबाड़ से खरीदे गये ख़राब वाहन को खरीद कर उससे जुगाड़ वाहन बनाया जाता है , कभी भी किसी प्रकार की घटना हो सकती है . यह जानते हुए भी कुछ लोग बिना जान से डरे हुए भी जुगाड़ वाहन पर सवार हो जाते हैं , सवारी लोग भी यह जानते हैं कि हम लोगों के साथ कभी भी किसी प्रकार की अनहोनी हो सकती है , इतना जानते हुए भी लोग उस पर सवार हो जाते हैं , आम लोगों को भी ऐसे वाहन से बचने की जरूरत है पुलिस का भी नहीं है डर जिले में चल रहे जुगाड़ वाहनों के चालकों को पुलिस का भी डर नहीं है , बिना किसी भय के जुगाड़ वाहन धड़ल्ले से सड़कों पर चलाते हैं , यातायात पुलिस और परिवहन विभाग ऐसे वाहनों के चालान काट कर कई बार करवाई तो करता है , लेकिन जायदातर जुगाड़ वाहन के संचालक इसे आम बात समझ लिए है. जुगाड़ वाहन रोक के लिए कोर्ट का भी आदेश : कोर्ट के आदेश होने के बावजूद भी जिले में जुगाड़ वाहन धड़ल्ले से चल रहा है . जानकार बताते हैं कि जुगाड़ वाहन पर किसी प्रकार का सामान या सवारी को ढोना यह कानूनन अपराध है . इतना जानते हुए भी जुगाड़ वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है . बोले पदाधिकारी जुगाड़ ऐसी वाहनों के लिए जांच अभियान चला कर जल्द कार्रवाई की जायेगी. कुमार विवेकानंद,जिला परिवहन पदाधिकारी

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