चक्की . चक्की प्रखंड अंतर्गत जवहीं दीयर का उप स्वास्थ्य केंद्र सप्ताह में दो दिन ही खुलता है. हालांकि फिलहाल इलाज के लिए यह किसी दिन भी नहीं खुल रहा है. हालात यह है कि सिर्फ बच्चों के टीकाकरण के दिन ही इसका ताला खुल रहा है. नतीजा यह है कि मरीज निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं. मिली जानकारी के अनुसार चिकित्सक एवं अन्य स्टाफ की कमी से जवहीं दियर उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं खुल रहा है. इसकी वजह से मरीज निजी अस्पताल में इलाज कराने को मजबूर हैं. सूबे की सरकार जहां ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य संबंधी सुविधा पहुंचाने का दावा कर रही है. जिसके तहत पंचायत स्तर पर उप स्वास्थ्य केंद्र भी खोले गए हैं. जिससे सुदुर गांव में रहने वाले ग्रामीण परिवार को इलाज के लिए कहीं बाहर न जाना पड़े लेकिन प्रखंड के दियारा इलाके के जवहीं में बना उपस्वास्थ्य केंद्र हेल्प एंड वेलनेस सेंटर सालों से बंद व बदहाल स्थिति में पड़ा हैं. सरकार द्वारा स्वास्थ्य उप केंद्र बनाये गये हैं ताकि गांव कस्बों के लोगों को इलाज के लिए ज्यादा दूर न जाना पड़े. लोगों को बेहतर इलाज की सुविधा गांव में ही मिले. लेकिन जवहीं दियर के उप स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं रहने की वजह से मरीजों का इलाज निजी अस्पताल में कराना पड़ता है. सप्ताह में केवल दो दिन सीएचओ और एक एएनएम के द्वारा अस्पताल खोला जाता है एवं केवल टीकाकरण किया जाता है. ग्रामीण दिनेश चतुर्वेदी,रिंकू दुबे, बबलु चौबे, राजेश मिश्रा, डब्लू चौबे का कहना है कि उपस्वास्थ्य केंद्र के लगातार बंद रहने के कारण यहां की गर्भवती महिलाएं एवं बीमारी से ग्रसित बच्चे व ग्रामीण झोला छाप डॉक्टरों के चुंगल में फंस अपना इलाज भगवान भरोसे कराते हैं. वहीं छोटी या बड़ी बीमारी के लिए भी निजी अस्पताल का ही सहारा लेना पड़ता है. इस संबंध में चक्की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर अंजनी कुमार ने बताया कि यहां पर डॉक्टरों की कमी है. इस वजह से उप स्वास्थ्य केंद्र जवहीं दियर में कोई चिकित्सक पदस्थापित नहीं है. उन्होंने बताया कि मेरे पास मात्र तीन डॉक्टर ही हैं जिनकी ड्यूटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही है . डॉक्टर एवं अन्य स्टाफ की कमी की वजह से जवहीं दियर उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं खुल पाता है . वहीं प्रभारी ने बताया कि सप्ताह में दो दिन सीएचओ व एक एएनएम द्वारा अस्पताल खोला जाता है एवं बच्चों का टीकाकरण किया जाता है . इन कर्मियों की अन्य चार दिन दूसरे उप स्वास्थ्य केन्द्र पर ड्यूटी लगती है. बताते चलें कि गांव एवं कस्बो में इलाज के नाम पर निजी अस्पताल में मरीजों का आर्थिक एवं मानसिक दोहन होना पड़ता है.
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