मुंगेर. मुंगेर सदर प्रखंड के मध्य विद्यालय शंकरपुर स्थित मतदान केंद्र संख्या-210 पर पी-1 के तौर पर तैनात टेटियाबंबर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय छोटी खडुई के प्रधानाध्यापक ओंकार कुमार चौधरी की सोमवार की सुबह हार्ट अटैक से मौत हो गयी. वह पूर्व से हृदय रोग से पीड़ित थे. मौत की सूचना मिलते ही अधिकारी व थाना पुलिस पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया. मौत की सूचना मिलते ही मृतक शिक्षक के घर में कोहराम मच गया. बताया जाता है कि ओंकार कुमार चौधरी टेटियाबंबर थाना क्षेत्र के छोटकी खड़ुई का रहने वाला था. वे पंचायत शिक्षक के पद पर प्राथमिक विद्यालय छोटकी खड़ुई में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात थे. हृदय रोग के मरीज होने से उनका भागलपुर के चिकित्सक के पास इलाज चल रहा था. रविवार की शाम वह मतदान दल के साथ मतदान केंद्र संख्या-210 मध्य विद्यालय शंकरपुर पहुंचा. सोमवार की सुबह लगभग पांच बजे वे उठे और शौच क्रिया से निवृत्त होने के बाद ब्रश कर सत्तू पिया. जिसके बाद पुन: शौच के लिए गये. इसी दौरान वे बेहोश होकर गिर गये. मतदानकर्मियों एवं पुलिस के जवानों ने उन्हें उठा कर सदर अस्पताल लाया. जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. सूचना मिलते ही मुफस्सिल थाना पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया. सूचना मिलते ही पत्नी रीना देवी परिजनों के साथ सदर अस्पताल पहुंची. जहां पर पूरे परिवार का रो-रोक कर बुरा हाल था. मृतक शिक्षक की पत्नी रानी देवी भूना पंचायत की सरपंच हैं. ओंकार अपने पीछे पत्नी, तीन पुत्री और एक पुत्र को छोड़ गये. सभी पुत्री और पुत्र की उम्र 15 वर्ष से नीचे है. सभी का रो-रोक कर बुरा हाल था. ओंकार के आवेदन पर होता अमल तो नहीं जाती जान शिक्षक ओंकार कुमार चौधरी ने जिलाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी को निर्वाचन कार्य से मुक्त करने के लिए आवेदन दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी ड्यूटी मतदान अधिकारी प्रथम पर की गयी है. वह पिछले एक माह से बीमार चल रहे हैं. 11 अप्रैल को उन्होंने भागलपुर के चिकित्सक डॉ हेमशंकर से इलाज कराया है. ईसीजी, इक्को, सीटी एनजियोग्राफी की जांच डॉ सुमित शंकर ने की. जांच रिपोर्ट आने पर चिकित्सक ने बताया कि वह हार्ट रोग से पीड़ित हैं, इसलिए आप शीघ्र ऑपरेशन कराये. नहीं हो कभी भी हार्ट अटैक हो सकता है. पत्नी रीना देवी ने रोते हुए कहा कि सभी जांच रिपोर्ट के साथ मेरे पति ने आवेदन दिया था. आवेदन पर अगर अमल होता होता तो मेरे पति की जान नहीं जाती. उन्होंने संबंधित पदाधिकारियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्रवाई की मांग की है.
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