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International Family Day: बुजुर्गों को संबल और युवाओं को जीवन की सीख देती है ज्वाइंट फैमिली

आज अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं राजधानी के ऐसे परिवारों के बारे में जहां कई पीढ़ियां एक साथ रहती हैं. घर में एक ही रसोई में मिलकर सारा काम होता है और सभी सदस्य एक दूसरे को पूरा आदर और सम्मान देते हैं. पेश है ऐसे संयुक्त परिवार के लोगों से बातचीत पर आधारित रिपोर्ट.

International Family Day: परिवार से बड़ा कोई धन नहीं होता. खासकर एक संयुक्त परिवार हमारे रिश्‍तों को न सिर्फ मजबूती देता है, बल्कि हर गम और खुशी के मौके पर हमारे साथ खड़ा रहता है. यदि परिवार साथ हो, तो बड़े से बड़ा संकट भी आसानी से पार हो जाता है, लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी ने इन परिवारों को बहुत छोटा कर दिया है. खासकर शहरी इलाकों में अब संयुक्त परिवार की अपेक्षा ज्यादातर एकल परिवार देखने को मिलते हैं. लेकिन आज अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस के मौके पर हम आपको पटना के कुछ संयुक्त परिवारों के बारे में बता रहे हैं.

पटना के संयुक्त परिवार वालों ने कहा- युवा और बाल पीढ़ी को मिलती है सीख

1. परिवार में रहता है त्योहारों जैसा माहौल : बिमला सिंह
कदमकुआं की रहने वाली 85 वर्षीय बिमला सिंह घर की मुखिया हैं. वे कहती हैं, हमारी तीन पीढ़ियां लंबे समय से साथ में रह रही हैं. घर में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 25-26 लोग हैं. मैं बेटों, बहुओं और पोता-पोती के साथ रहती हूं. परिवार के लोग जब साथ रहते हैं, तो घर में हर दिन त्योहारों जैसा माहौल रहता है. वे कहती हैं, जब परिवार में आपसी बातचीत में गैप आती है, तभी परिवार में दूरियां बढ़ती हैं. वे कहती हैं, जब कभी किसी बात को लेकर किसी को नाराजगी होती है, तो मैं उन्हें समझाती हूं. फिर से लोग आपस में मिल जाते हैं. घर के छोटी-छोटी बातों को इग्नोर करेंगे, तो परिवार टूटेगा नहीं, बल्कि इससे प्यार और गहरा होगा.


2. तीन पीढ़ियों के 22 लोगों का है बड़ा परिवार : गुंजन  

अकलीपुर कोठी के रहने वाले गुंजन प्रकाश सिंह के घर में तीन पीढ़ियों के 22 लोग एक साथ रहते हैं. उनके पिता का सपना था कि परिवार के लोग हमेशा एक साथ रहें और वे इसी सपने को निभा रहे हैं. उनकी मां घर में सबसे बड़ी हैं और कई फैसलों में उनकी राय बेहद खास होती है. वे कहते हैं, जब हम बाहर रहते हैं तो इस बात की तसल्ली होती है परिवार एक-साथ है और सुरक्षित है. मां अपने पोते-पोतियों को हमारे बचपन के दिनों के बारे में बताती हैं और हम सभी एक-दूसरे के साथ समय बिताना पसंद करते हैं. रात का डिनर साथ ही करते हैं. हमेशा याद रखें कि आपसी तालमेल जरूरी है और संवाद में गैप न करें तभी परिवार बना रहेगा.


3. मॉडर्न युग में भी हमारी तीन पीढ़ियां साथ रहती है : मनोज

कंकड़बाग के रहने वाले मनोज कुमार वर्मा का परिवार कई सालों से संयुक्त परिवार के तौर पर रह रहा है. इनके परिवार में तीन पीढ़ियों के कुल 13 लोग एक साथ रहते हैं. वे कहते हैं, उनके पिता स्व मुनिंद्र कुमार वर्मा ने हमेशा संयुक्त परिवार का सपना देखा था. आज जहां परिवार के लोग बिखरते जा रहे हैं, वहीं हमारी फैमिली एक साथ रहती है. यह मेरे लिए गर्व की बात है कि इस मॉडर्न युग में भी हम सब एक साथ हैं. हमलोग हर साल साथ में फैमिली ट्रिप पर जाते हैं. खाना एक ही किचन में बनता है. रोजाना खाना साथ खाते हैं और हर पर्व-त्योहार को पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाते हैं.


4. संयुक्त परिवार संस्कारों से जोड़े रखता है : सुरेंद्र जैन

मीठापुर के रहने वाले सुरेंद्र जैन कहते हैं, हमारे घर में तीन पीढ़ियां एक साथ रह रही हैं. परिवार में कुल 14 सदस्य हैं, लेकिन कभी किसी के मन में मनमुटाव वाली स्थिति नहीं आयी. सभी बच्चों के बीच आपस में वही प्यार है, जो हम सब भाई बहनों के बीच में रहता है. लोगों का खाना एक साथ ही बनता है और एक साथ ही खाना खाते हैं. बच्चे एक-साथ पढ़ते, लड़ते और मस्ती करते हैं. कोई भी अवसर हो सभी उसे एक साथ मनाते हैं. सुरेंद्र कहते हैं, मेरे माता-पिता का कहना था कि अगर हम एक हैं, तो कोई हमें अलग नहीं कर सकता. आपसी समझ व प्यार ने इस परिवार को आज तक एक धागे में पिरोकर रखा है.


5. चार पीढ़ियों के 13 सदस्य एक साथ रहते हैं : शिप्रा

कृष्णा अपार्टमेंट की रहने वाली शिप्रा सलोनी के परिवार में चार पीढ़ियों के 13 सदस्य एक साथ रहते हैं. वे कहती हैं, साथ रहने से आपस में एक दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना बढ़ती है. लेकिन अफसोस की बात है कि लोग संयुक्त परिवार के महत्व को भूलकर एकल परिवार की ओर बढ़ रहे हैं. पर हमारे यहां आज भी एक ही किचन में सभी का खाना बनता है. आज भी हमारे घर का निर्णय मां और पिताजी ही लेते हैं. हम सभी खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि हमारा इतना बड़ा परिवार है. साथ रहने वाले लोगों में कभी उनके परिवार में अपने पराए जैसी भावना किसी के मन में नहीं आती.

इसलिए मनाया जाता है वर्ल्ड फैमिली डे

इंसान के जीवन में परिवार की जरूरत और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 15 मई को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्‍य परिवारों को जोड़े रखना है, ताकि युवा अपने परिवार के महत्व को नजरअंदाज न करें और न ही इससे कभी दूरी बनाये. इसके लिए वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली ने हर साल अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की घोषणा की थी.

विश्व परिवार दिवस का ये है महत्व

परिवार अलग-अलग विचार, पसंद के लोगों को एकजुट करता है. लोगों के आपसी मतभेदों को भुलाकर प्रेम से रहने के लिए प्रेरित करता है और भावनात्मक तौर पर परिवार एक दूसरे का सहारा देने व अकेलेपन को दूर करने का काम परिवार ही करता है.

संयुक्त परिवार के ये हैं दस फायदे

– संयुक्त परिवार में बच्चों को मिलती है नैतिक मूल्यों की शिक्षा
– परिवार में घर के सभी सदस्यों को मिलता है प्यार और दुलार
– दबाव या डिप्रेशन में आने पर मिलता है मेंटल हेल्थ का सपोर्ट
– परिवार के सभी लोगों को मिलती है मानसिक स्थिरता
– छोटे बच्चों को नहीं होता है अकेलेपन का एहसास
– घर के सभी लोगों को मिलता है बुजुर्गों का अनुभव व प्यार
– परिवार में अनुशासन का पढ़ाया जाता है पाठ
– सामाजिक मान्यताओं का स्थान्तरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होता है
– आपसी समायोजन के साथ-साथ मिलता है आर्थिक व भावनात्मक सहयोग
– परिवार के सभी सदस्यों को रहता है अपने-अपने जिम्मेदारियों का एहसास

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