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हजारों वर्ष पुराने हैं जीवाश्म, संरक्षण की होनी चाहिए पहल

लखनऊ से आयी भू-वैज्ञानिकों की टीम ने दूसरे दिन किया फॉसिल्स पार्क का निरीक्षण, कहा

मंडरो. प्रखंड अंतर्गत सीमड़ा पंचायत के गुर्मी पहाड़ स्थित फॉसिल्स पार्क का मंगलवार को भी लखनऊ सेंटर से आये बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज फॉर प्रमोशन ऑफ जियोहेरिटेज एंड जियोटूरिज्म (सीपीजीजी) की टीम ने निरीक्षण किया. इस दौरान फॉसिल्स पार्क में बनाये गये म्यूजियम, इंडोटोरियम के माध्यम से ब्रह्मांड की संरचना के बारे में भी जानकारी ली. साथ ही क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीणों के साथ बातचीत करते हुए उन्हें अपने आसपास के क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में पाये जा रहे जीवाश्म के संरक्षण के लिए जागरूक करने का कार्य किया गया. वहीं जानकारी देते हुए सीपीजीजी संयोजक डॉ. शिल्पा पांडे एवं बीएसआइपी के निर्देशक प्रोफेसर एमजी ठक्कर ने बताया कि कई दशकों से यहां के ग्रामीण जीवाश्म लकड़ी को बड़े ही नेम निष्ठा के साथ पूजा अर्चना कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इन लोगों को अब तक पता नहीं है कि यह कितना बहुमूल्य धरोहर है. झारखंड की इन अद्भुत जीवाश्म की लकड़ी के संरक्षण की सख्त जरूरत है. यह जीवाश्म की लकड़ी के संरक्षण के संबंध में साहिबगंज वन प्रमंडल पदाधिकारी मनीष तिवारी के साथ बैठक करते हुए यहां पर और विकास की कार्यों को किया जा सके. इस पर बातचीत की जायेगी. फॉसिल्स कई हजार वर्ष पुराना है. अगर यह विलुप्त हो जायेगी, तो पुन: हमें दोबारा देखने को नहीं मिलेगा. इस अवसर पर बीएसआइपी के निर्देशक प्रोफेसर एमजी ठक्कर, सीपीजीजी संयोजक डॉ शिल्पा पांडे, विशेषज्ञ डॉ. सुरेश पिल्लई, भूर्गभ शास्त्र के वैज्ञानिक डॉ रंजीत कुमार सिंह, वनरक्षी अखिलेश मरांडी के अलावा वनकर्मी मनोज हांसदा समेत कई अन्य लोग उपस्थित थे.

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