मरीज व परिजनों को को उठानी पड़ रही परेशानी, छह करोड़ से अधिक की राशि से हो रहा निर्माण बनमा ईटहरी. बिहार सरकार स्वास्थ्य विभाग को दुरुस्त करने के लिए लाख प्रयास कर रही हो लेकिन विभागीय शिथिलता के कारण लोगों को इसका लाभ ससमय नहीं मिल पा रहा है. मामला प्रखंड क्षेत्र के बनमा गांव का है. जहां पंचायत सरकार भवन के बगल में बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग की कार्य एजेंसी बीएमएसआईसीएल पटना द्वारा छह करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से बनने वाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण अवधि खत्म होने के बाद भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. बाहर से देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि कार्य पूरी तरह से पूर्ण हो गया है. लेकिन अंदर जाने के बाद कई ऐसे कार्य हैं जो अब तक सुदृढ़ नहीं हुआ है. निर्माण कार्य वर्ष 2021-22 को प्रारंभ हुई थी. जहां 15 महीने में कार्य को पूर्ण करना था. लेकिन 15 माह में बनने वाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की निर्माण अवधि खत्म होने के बाद के छह माह बाद भी कछुए की चाल से निर्माण हो रहा है. स्वास्थ्य विभाग के इस रवैये के कारण प्रखंड के लाखों आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही पंचायत स्तर पर बनाये गए उप स्वास्थ्य केंद्र का भी बदतर स्थिति है. सहुरिया पंचायत में बने उप स्वास्थ्य केंद्र सुगमा की स्थिति ऐसी है कि पूरे प्रखंड के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है. कई बार ग्रामीणों के द्वारा विभाग के उच्चाधिकारियों को कहा गया. लेकिन बस आश्वासन के अलावा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है. जिसके कारण उप स्वास्थ्य केंद्र सुगमा के जर्जर भवन को ग्रामीण अतिक्रमण कर भवन के दोनों कमरों में जलावन व सुअर रखना शुरु कर दिया व भवन के दीवार पर लोग उपला पोतने लगे हैं. एकरारनामा के अनुसार नहीं हो रहा कार्य छह करोड़ 25 लाख की राशि से 30 बेड का तीन मंजिला इमारत संवेदक द्वारा 15 महीना के एकरारनामा पर वर्ष 2021-22 में निर्माण कार्य शुरु किया गया. जो 15 माह बीतने के बाद आज भी काम अधूरा है. वहीं मुख्य सड़क से अस्पताल तक जाने के लिए एप्रोच पथ का भी निर्माण करना था जो अभी तक नहीं हो पाया है. वर्तमान पीएचसी बजार समिति के पांच दुकान में है संचालित जानकारी हो कि एक लाख 21 हजार की आबादी पर आधारित स्वास्थ्य केंद्र तेलियाहाट 25 वर्ष बाद भी पूर्ण रूप से संचालित नहीं हो पाया है. बारिश के समय अस्पताल परिसर में पानी जमा हो जाता है. दवा कक्ष में पानी प्रवेश कर जाता है. बेड रखने तक की सुविधा नहीं है. स्कूलों में बेड रखा जाता है. अस्पताल परिसर में जगह के अभाव में बेंच डेस्क के सहारे ही इलाज हो रहा है. महिला बंध्याकरण के दौरान महिलाओं को अस्पताल के सामने घास पर या दरी बिछाकर उसपर लेटा दिया जाता है. इतना ही नहीं अस्पताल परिसर के पीछे शटर जीर्ण शीर्ण अवस्था में तब्दील हो गया है. वर्षों पहले दंत चिकित्सक का पदस्थापन हुआ था. सारे संसाधन संबंधित विभाग द्वारा करीब नौ लाख की लागत से मुहैया कराया गया. लेकिन रखरखाव के अभाव में सारा उपकरण बर्बाद हो गया. कर्मियों के लिए अभी तक मात्र एक चापाकल व शौचालय की भी व्यवस्था नहीं की गयी है. चिकित्सकों को साप्ताहिक बैठक करने के लिए अस्पताल परिसर में जगह नहीं रहने के कारण लोगों के निजी दरवाजे पर बैठक करना पडता है.
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