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पश्चिम बंगाल के इंद्रजीत गुप्ता रिकॉर्ड 11 बार चुने गये थे सांसद

देश में लोकसभा चुनाव चल रहा है. चौथे चरण का मतदान संपन्न हो चुका है. चुनाव में जीत हासिल करने की तमन्ना हर उम्मीदवार की होती है.

कोलकाता. देश में लोकसभा चुनाव चल रहा है. चौथे चरण का मतदान संपन्न हो चुका है. चुनाव में जीत हासिल करने की तमन्ना हर उम्मीदवार की होती है. लेकिन हर कोई चुनाव जीतने का रिकॉर्ड नहीं बना पाता. लेकिन बंगाल के एक ऐसे नेता भी हैं, जिन्होंने रिकॉर्ड 11 बार लोस चुनाव में जीत दर्ज की. वह केंद्रीय गृह मंत्री भी रहे. उनका नाम है- इंद्रजीत गुप्ता है. वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) से थे. उनके बाद सोमनाथ चटर्जी के नाम 10 बार सांसद चुने जाने का रिकॉर्ड है. इंद्रजीत गुप्ता का राजनीतिक कद किसना बड़ा था, वह इस बात से ही समझा जा सकता है कि उनकी पार्टी ने 60 वर्षों से भी अधिक समय तक उन पर भरोसा बनाये रखा. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) उन्हें टिकट देती रही और वह जीतते रहे. ऐसे उम्मीदवार खुद की पार्टी बना आगे बढ़ जाते हैं या दूसरी पार्टियों का रुख कर लेते हैं. लेकिन दिग्गज नेता इंद्रजीत ने कभी भी अपनी पार्टी से दगाबाजी नहीं की. वह अपने दम पर देश के गृहमंत्री बने. वह पहली बार 1960 में साउथ वेस्ट सीट से चुनाव लड़े और जीतकर संसद पहुंचे. 2001में जब उनका निधन हुआ, तब भी वह लोकसभा के सदस्य थे. 1977 से 1980 के बीच के तीन सालों में इंदिरा गांधी के चलते उन्हें धोखा खाना पड़ा. उन्होंने शुरुआती चुनाव (1962 से 1967 तक) कलकत्ता साउथ वेस्ट से लड़े. इसके बाद 1967 से 1977 तक अलीपुर, 1980 से 1989 तक बशीरहाट और 1989-2001 तक मेदिनीपुर सीट से सांसद चुने गये. उन्हें फादर ऑफ हाउस कहा जाता था. सिर्फ एक बार 1977 का चुनाव हारे इंद्रजीत गुप्ता ने कुल 12 लोकसभा चुनाव लड़े, जिनमें से 11 में जीत हासिल की. साल 1977 के आम चुनाव में उन्हें अशोक कृष्ण दत्त से हार का सामना करना पड़ा था. इसका कारण यह था कि सीपीआइ ने आपातकाल के दौरान कांग्रेस और इंदिरा गांधी का समर्थन कर दिया था. सीपीआइ के इस फैसले में इंद्रजीत गुप्ता की भी सहमति भी मानी गयी थी और उन्हें इंदिरा गांधी को समर्थन देने के चलते हार का सामना करना पड़ा. पहले कम्युनिस्ट नेता जो बने देश के गृहमंत्री भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को साल 1947 के बाद से तीन बार बैन किया जा चुका था. इसके चलते ही केंद्र की राजनीति में इस पार्टी की भूमिका इतनी बड़ी नहीं बन पायी. लेकिन पार्टी से केंद्र की राजनीति का पहला हस्ताक्षर इंद्रजीत गुप्ता बनने में सफल हुए. वह एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल के शासनकाल में केंद्रीय गृहमंत्री रहे. गृहमंत्री होते हुए भी रहते थे वेस्टर्न कोर्ट में भारतीय सांसदों को दिल्ली के वेस्टर्न कोर्ट में एक आवास आवंटित किया जाता है. लेकिन आमतौर पर रसूख वाले सांसद यहां रहने से कतराते हैं. कभी उनके निवास के ठीक बगल में रहने वाले वरिष्ठ राजनेता क्रांति प्रकाश बताते हैं, “देश के गृहमंत्री होने के बावजूद उन्होंने वेस्टर्न कोर्ट को नहीं छोड़ा. वे अपने दो रूम के क्वॉर्टर से ही अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे. वह असल में सादगी की मिसाल थे. ” उनके बारे में संसद में बोलते हुए भाजपा के प्रखर नेता हुकुमदेव नारायण यादव ने एक बार कहा था कि वह एक कम्युनिस्ट नेता थे. लेकिन इससे बड़ी बात यह थी कि वह एक महान सांसद थे. इस बात को लेकर कई लोगों को मतिभ्रम हो जाता है कि सबसे ज्यादा बार सांसद होने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम है. लेकिन असल में अटल बिहारी वाजपेयी 10 बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले और दो बार राज्यसभा के सांसद बनने वाले शख्सियत हैं. वह कुल 12 बार सांसद रहे हैं. लेकिन इंद्रजीत गुप्ता ने 11 बार लोकसभा चुनाव जीता है. इसलिए सबसे ज्यादा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड उनके नाम ही है. इनका संबंध कोलकाता के एक बैद्य परिवार से था. उनके दादा बिहारी लाल गुप्ता, आइसीएस, बड़ौदा के दीवान थे और उनके बड़े भाई रणजीत गुप्ता, आइसीएस, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव थे. उनके पिता सतीश चंद्र गुप्ता, जो आईए एंड एएस से संबंधित थे, भारत के महालेखाकार थे और 1933 में केंद्रीय विधानसभा के सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे. 10 बार संसद पहुंचे थे सोमनाथ चटर्जी 25 जुलाई 1929 को असम के तेजपुर में जन्मे सोमनाथ चटर्जी 10 बार लोकसभा चुनाव जीते. चार जून 2004 को सोमनाथ चटर्जी को निर्विरोध लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था. चटर्जी ने अपने करियर की शुरुआत एक अधिवक्ता के रूप में की थी. 1968 में उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ज्वॉइन की थी. सोमनाथ चटर्जी ने 1971 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता. वह 1989 से 2004 तक लोकसभा में सीपीआई (एम) के नेता रहे थे. 1971 से 2004 तक सोमनाथ चटर्जी ने 10 बार लोकसभा का चुनाव जीता. चटर्जी को 1996 में ”उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार” प्रदान किया गया था. सोमनाथ चटर्जी को एक बार 1984 में ममता बनर्जी ने हराया था.

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