थाना का कामकाज से लेकर गश्ती, छापेमारी तक में भी जाने लगा दारोगा, शिकायत के बाद भी कई दिनों तक दबा रहा मामला
फर्जी दारोगा का योगदान प्रकरण : कानून की गिरफ्त में कानून के रखवाले
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बिना किसी जिलादेश व सरकारी प्रक्रिया पूरी किये बिना मानसी थाना में फर्जी दारोगा का स्टेशन डायरी में योगदान लेकर काम लेने के मामले में मेरे द्वारा उच्चाधिकारियों को सूचना के बाद भी कई दिनों तक मामला दबा रहा. मीडिया में मामला गूंजने के बाद एसडीपीओ की जांच में तत्कालीन मानसी थानाध्यक्ष दीपक कुमार की भूमिका को संदिग्ध माना गया. नियमत: फर्जी दारोगा के साथ साथ तत्कालीन मानसी थानाध्यक्ष पर प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिये लेकिन तत्कालीन एसपी ने उसे बचाने के लिए उसे ही वादी बना दिया. पूरे मामले की गहन जांच हो तो फर्जी दारोगा की बहाली से जुड़े बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है. – अमलेंदू कुमार, शिकायतकर्ता एसआइ.———————-
वर्ष 2021 में पुलिस लाइन के तत्कालीन मेजर महेन्द्र प्रसाद यादव के मौखिक आदेश पर बिक्रम कुमार का बिना किसी जिलादेश/वायरलेस के ही योगदान लिया गया. बाद में पता चलने पर मानसी थाना कांड संख्या 295/21 दर्ज कर फर्जी दारोगा व उसके सहयोगी को जेल भेज दिया गया. यह सच है कि एसडीपीओ की जांच रिपोर्ट में मुझे (तत्कालीन मानसी थानाध्यक्ष) की भूमिका को संदिग्ध माना गया, जिसके आधार पर विभागीय कार्रवाई चल रही है. अभी हम ना निर्दोष हैं और ना ही दोषी. – दीपक कुमार, तत्कालीन मानसी थानाध्यक्ष.———————-
सीजेएम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश का अनुपालन करना पुलिस की बाध्यता है. एसआइ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सीजेएम कोर्ट द्वारा पुलिस पदाधिकारियों पर दिये गये प्राथमिकी के आदेश का अनुपालन हर हाल में करना होगा. – अजय कुमार सिंह, अधिवक्ता.———————–
प्रतिनिधि, खगड़िया फर्जी दारोगा (एसआइ) का योगदान लेकर ड्यूटी करवाने का मामला एक बार फिर तूल पकड़ने के बाद कानून के रखवाले ही कानून की गिरफ्त में आ गये हैं. सीजेएम कोर्ट द्वारा पूर्व एसपी अमितेश कुमार, एसडीपीओ सुमित कुमार, सदर थानाध्यक्ष विनोद सिंह समेत 9 पुलिस पदाधिकारियों पर प्राथमिकी के आदेश के बाद विभाग में खलबली मची हुई है. पूरे मामले के तार वर्ष 2021 में मानसी थाना में फर्जी एसआइ का फर्जीवाड़ा ढंग से योगदान लेकर काम लेने के खुलासा से जुड़ा हुआ है. जिसका खुलासा करने वाले मानसी थाना के तत्कालीन एसआइ अमलेंदू प्रसाद सिंह को पुरस्कार देने की बजाय विभाग द्वारा उसे प्रताड़ना की हद पार कर दी गयी. शिकायतकर्ता एसआइ श्री सिंह ने बताया कि उसके साथ सदर अस्पताल परिसर में तत्कालीन एसपी के कहने पर उनके खासमखास पुलिस अधिकारियों ने मारपीट की. फर्जी मामले में केस दर्ज करने के साथ मुझे निलंबित कर दिया गया. इतने से मन नहीं भरा तो जीवनयापन भत्ता भी बंद कर दिया गया. जिसकी शिकायत एसआइ अमलेंदू प्रसाद ने आइपीसी की धारा 342, 307,201,379,323, 504, 506/34 के तहत तत्कालीन पुलिस अधीक्षक समेत 9 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई के लिए सीजेएम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. जिस पर सुनवाई के बाद सीजेएम न्यायालय द्वारा 6 मई को तत्कालीन एसपी, एसडीपीओ समेत 9 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुसंधान एवं प्राथमिकी के आदेश दिये गये हैं. कानून के जानकारों की मानें तो सीजेएम न्यायालय द्वारा जारी आदेश का अनुपालन करना पुलिस की बाध्यता है. इधर, कई लोगों ने कहा कि इसी तरह का आदेश पढ़/सुन कर लगता है कि कानून सबके लिए बराबर है. वरना कई पुलिस अधिकारी तो खुद को कानून से ऊपर समझने लगते हैं. इधर, सीजेएम न्यायालय के आदेश के बाद कानून के घेरे में आये पूर्व एसपी, एसडीपीओ समेत अन्य पुलिस अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका है.————–
जिलादेश ना वायरलेस, थानाध्यक्ष ने सड़कछाप को बना दिया दारोगा आमलोगों से शिकायत/प्राथमिकी दर्ज करने से पहले बेवजह तरह तरह के सवाल पूछने वाली पुलिस नये सब इंस्पेक्टर के योगदान लेने से आवश्यक सरकारी प्रक्रिया व कागजात चेक करना भी मुनासिब नहीं समझा. तत्कालीन एसडीपीओ की जांच रिपोर्ट और तत्कालीन मानसी थानाध्यक्ष दीपक कुमार के बयान पर गौर करें तो कहानी गहरी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं. एसडीपीओ को दिये बयान में पूर्व थानाध्यक्ष दीपक ने कहा है कि तत्कालीन मेजर (पुलिस लाइन) के कहने पर ही बिना जिलादेश के फर्जी एसआइ बिक्रम कुमार का योगदान लिया था. उस वक्त मानसी थाना में मुनसी रहे सुबोध कुमार ने एसडीपीओ को दिये बयान में बताया है कि उस वक्त के थानाध्यक्ष दीपक कुमार ने कहा मेजर साहब से बात हो गयी है, जिलादेश बाद में आयेगा, योगदान ले लो. जिसके बाद स्टेशन डायरी में एसआइ बिक्रम का योगदान ले लिया गया था. आमलोगों को प्राथमिकी दर्ज करने में तरह तरह के सवाल पूछने वाली पुलिस ने बिना तहकीकात के ही किसी सड़क छाप युवक का एसआइ पद पर योगदान कैसे ले लिया. साथ ही थाने के महत्वपूर्ण काम लेने के साथ गश्ती, छापेमारी में भी भेजा जाने लगा. कहा जाता है कि 26 अगस्त 2021 को योगदान देने के बाद फर्जी दारोगा बिक्रम कुछ दिनों में ही तत्कालीन थानाध्यक्ष का करीबी हो गया. उस वक्त मानसी थाने में तैनात एसआइ अमलेंदू प्रसाद ने बताया कि फर्जी दारोगा के बारे में सूचना के बाद भी पहले तो ध्यान नहीं दिया गया. मामला मीडिया में आने के बाद पुलिस मुख्यालय पटना तक पहुंचा तो आननफानन में एक नवंबर को तत्कालीन थानाध्यक्ष के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज कर फर्जी दारोगा बिक्रम व उसके सहयोगी रवि को जेल भेज दिया गया. तत्कालीन एसडीपीओ की जांच में भी फर्जी दारोगा के योगदान व काम लेने के मामले में उस वक्त के मानसी थानाध्यक्ष दीपक कुमार की भूमिका को संदिग्ध माना है. जिसके आधार पर इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है