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खानपान में सावधानी

हमें अनाज, मोटे अनाज, दाल, मांस, सब्जी, मेवे, फल, दूध आदि के संतुलित सेवन से समुचित पोषण ग्रहण करना चाहिए.

हमारे देश में खाने-पीने में लापरवाही के कारण मोटापा, डायबिटीज, दिल की बीमारियां जैसे गैर-संचारी रोगों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. राष्ट्रीय पोषण संस्थान के ताजा दिशा-निर्देश में रेखांकित किया गया है कि भारत में बीमारियों के कुल बोझ के 56.4 प्रतिशत हिस्से की वजह खानपान पर ठीक से ध्यान नहीं देना है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्यरत इस संस्थान ने इस संबंध में विस्तृत सुझाव दिये हैं. तेरह साल के अंतराल के बाद आये इस दिशा-निर्देश पर समुचित ध्यान दिया जाना चाहिए. इस दस्तावेज में बताया गया है कि अगर स्वास्थ्यकर भोजन लिया जाए और शारीरिक रूप से सक्रिय रहा जाए, तो हृदय रोगों, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज जैसी कई मुश्किलों के जोखिम को बहुत हद तक कम किया जा सकता है. ये बीमारियां असमय मौतों का सबसे बड़ा कारण हैं.

उल्लेखनीय है कि कैंसर के तेजी से बढ़ने के पीछे भी नुकसानदेह भोजन बड़ा कारण है. शहरीकरण और रोजगार के बदलते स्वरूप ने हमारी जीवनशैली को व्यापक रूप से प्रभावित किया है. हमारे भोजन में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का हिस्सा बढ़ता जा रहा है. पोषण संस्थान ने बताया है कि ऐसे खाद्य पदार्थों में विभिन्न प्रकार की चीनी और वसा की मात्रा अधिक होती है. इनके अधिक सेवन तथा कम व्यायाम एवं खाने-पीने की विविध चीजों तक सीमित होती पहुंच से पोषक तत्वों की कमी होती है, जिसका नतीजा मोटापा और अन्य समस्याओं के रूप में हमारे सामने आता है. आम तौर पर हमें हर दिन 20-25 ग्राम चीनी खाना चाहिए. प्राकृतिक कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों से शरीर जरूरत भर चीनी निकाल लेता है. संस्थान ने नमक, तेल एवं वसा के कम उपभोग की सलाह भी दी है. एक ओर बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो व्यायाम, खेल-कूद, टहलने, तैरने जैसी गतिविधियों से दूर रहते है.

इस रवैये से वे बीमारियों को आमंत्रित करते हैं. दूसरी ओर, हमारे देश में जिम कल्चर भी बढ़ रहा है, जो स्वागतयोग्य है. पर मांसपेशियां बनाने के उत्साह में कई लोग, विशेषकर युवा, प्रोटीन सप्लीमेंट लेने लगते हैं. पोषण संस्थान ने रेखांकित किया है कि स्वस्थ युवाओं को इससे मामूली लाभ ही होता है, पर यह हड्डियों में खनिज के क्षरण तथा किडनी के नुकसान का कारण बन सकता है. हमें अनाज, मोटे अनाज, दाल, मांस, सब्जी, मेवे, फल, दूध आदि के संतुलित सेवन से समुचित पोषण ग्रहण करना चाहिए. लंबे समय से चिकित्सक और पोषण विशेषज्ञ स्वास्थ्यवर्धक भोजन और कसरत पर जोर देते रहे हैं. विभिन्न अध्ययन भी सामने आते रहते हैं. इसके बावजूद अधिकतर लोग लापरवाह जीवनशैली के दायरे से बाहर नहीं आ पाते. पोषण संस्थान के दिशा-निर्देश शोधों और समीक्षाओं पर आधारित हैं. हम सभी को इन सुझावों पर गंभीरता से अमल करना चाहिए.

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