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भागलपुर के पीरपैंती में तीन दिन तक रहेंगे तीन अधिकारी, स्वास्थ्य कर्मियों के काम की करेंगे जांच

भागलपुर जिला के अकांक्षी प्रखंड में शामिल पीरपैंती में स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने को लेकर डीएम कार्यालय में एक बैठक हुई. जिसमें डीएम ने तीन अधिकारियों का सर्वे का निर्देश दिया

भागलपुर के जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने बुधवार को आकांक्षी प्रखंड पीरपैंती में स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने के साथ-साथ अन्य प्रमुख प्रदर्शन संकेतक में सुधार को लेकर अपने कार्यालय में बैठक की. भारत सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग की अतिरिक्त निदेशक डॉ छवि पंत ज्योति ने पावर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से पीरपैंती प्रखंड में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में जानकारी दी.

बताया गया कि पीरपैंती में संस्थागत प्रसव की उपलब्धि 96% है. प्रसव पूर्व जांच के लिए पंजीयन की उपलब्धि 78% है. निम्न जन्म दर 13% है. इसके साथ ही प्रखंड में बीपी व शुगर की जांच की प्रगति धीमी है. महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी पायी जा रही है.

डीएम ने डीपीएम हेल्थ, जिला एमीनी और डीसीएम को तीन दिनों तक पीरपैंती प्रखंड में रहकर सर्वे करने का निर्देश दिया. किस क्षेत्र की आशा, एएनएम या सेविका, सहायिका द्वारा ठीक से काम नहीं किया जा रहा है, इसका पता करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि जब आयरन व फोलिक एसिड की टेबलेट सभी को निःशुल्क मुहैया करायी जा रही है, तो फिर महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी कैसे है. क्या जागरूकता की कमी है, तो इसकी जांच की जाये.

डीएम ने पंचायती राज संस्था, आइसीडीएस, स्वास्थ्य व जीविका के साथ मीटिंग कर क्षेत्र में पांच दिनों तक जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया. उन्होंने मुखिया के साथ-साथ सभी वार्ड सदस्यों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया, ताकि स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता लायी जा सके. जीविका की पूरी टीम को जागरूकता कार्य में लगाने को कहा. बता दें कि पीरपैंती, जगदीशपुर व सबौर अति कम विकसित 100 प्रखंडों में और सन्हौला व सुलतानगंज कम विकसित 500 आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम (एडीपी) में शामिल हैं.

क्या होता है आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम

नीति आयोग द्वारा अविकसित जिलों व प्रखंडों में नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, बाल विकास योजनाएं, आधारभूत संरचना व सामाजिक विकास कार्यक्रम में सुधार करने के लिए भारत के 27 राज्यों, चार केंद्र शासित प्रदेशों के 329 जिले व 500 प्रखंडों को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है.

आकांक्षी प्रखंड में स्वास्थ्य सेवा के सात प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों में सुधार के लिए 15 अंक, शिक्षा के 11 संकेतकों में सुधार के लिए 30 अंक, बाल विकास सेवाएं के सात संकेतकों के सुधार के लिए 15 अंक, आधारभूत संरचना के पांच संकेतकों में सुधार के लिए 15 अंक, कृषि के पांच संकेतकों में सुधार के लिए 20 अंक और सामाजिक विकास के चार संकेतकों के सुधार पर पांच अंक, इस प्रकार कुल 100 अंक दिये जाते हैं. 100 अंक प्राप्त हो जाने पर नीति आयोग द्वारा प्रखंडों को आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम से बाहर कर दिया जाता है.

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