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अररिया इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में

तापमान हुआ 42 डिग्री

अररिया. लगातार एक सप्ताह से पूरा जिला भीषण गर्मी की चपेट में है. एक तो भीषण गर्मी वहीं दूसरी ओर बिजली की आंख मिचौनी से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. जब से तापमान बढ़ा है और भीषण गर्मी हो रही है ऐसे में बिजली भी अनियमित आपूर्ति मानो लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही है. मौसम के हिसाब से पूरे सीमांचल को मिनी दार्जिलिंग कहा जाता था. लेकिन ये मिनी दार्जिलिंग भी अब सामान्य से अधिक तापमान के कारण लू की चपेट में है. अररिया में आम तौर पर इतनी गर्मी नहीं पड़ती थी. और अगर गर्मी पड़ती भी तो दो चार दिन के अंदर तेज हवा और बारिश भी हो जाती थी. लेकिन इस वर्ष गर्मी अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ रहा है. इस भीषण गर्मी में लोग दिन में बाजार निकलना भी छोड़ दिए हैं. बाजार में दिन भर सन्नाटा पसरा रहता है. सबसे ज्यादा परेशानी खेतों में काम करने वाले मजदूर और शहर में काम करने वाले दैनिक मजदूर पर इसका प्रभाव देखा जा रहा है. बिजली की आंख मचौनी पर जब विभाग से जानकारी ली तो बताया गया की शॉर्ट सर्किट के कारण बिजली काट गयी उसे ठीक किया जाता है. ऐसे में बिजली काटना मजबूरी होती है. विभाग ने बताया की इसके अलावा कहीं से किसी प्रकार के फॉल्ट की जानकारी मिलने पर उस समस्या का समाधान भी करने में बिजली आपूर्ति बाधित होती है. बावजूद इसके 20 से 22 घंटे बिजली उपलब्ध रहती है.

भीषण गर्मी में प्यास की तपिश बुझाने के लिए शहर में नहीं है कोई व्यवस्था

अररिया.

लगातार भीषण गर्मी के बावजूद शहर के किसी चौक चौराहे पर प्यास की तपिश बुझाने के लिए कही कोई शीतल पेयजल की व्यवस्था नगर परिषद द्वारा नही किया गया है. इससे पहले नगर परिषद द्वारा हर वर्ष इस भीषण गर्मी में सभी चौक चौराहे पर शीतल पेयजल की व्यवस्था की जाती रही है. लेकिन पता नहीं इस बार लगातार तापमान में रिकॉर्ड वृद्धि के बावजूद नगर परिषद क्यों मौन बना हुआ है. यू व्यवस्था तो जन हित से जुड़ा है. ताकि प्यासे को पानी मिल सके. ऐसे भी कहा जाता है की प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्य का काम है. खासकर भीड़ भाड़ वाले इलाके खासकर चांदनी चौक ,कचहरी चौक ,थाना चौक ,काली मंदिर चौक ,बस स्टैंड ,आजाद चौक, एडीवी चौक आदि जगहों पर इस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए थी. ताकि लोगों को भीषण गर्मी में प्यास बुझाने को पानी मिल सके. नगर प्रशासन जहां लोगों के प्यास बुझाने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया वैसे में टाउन हॉल के समीप एक दुकानदार द्वारा नाला पर शेड आदि लगाकर प्यासे के लिए कई वर्षों से लगातार पेयजल उपलब्ध करा रही है. जिससे लोगों को काफी राहत मिलती है. इस संबंध में नगर परिषद के मुख्य पार्षद से जानकारी लेने की कोशिश की तो उनसे बात नही हो सकी. बहरहाल ये एक मानवीय सेवा से जुड़ा एक अहम समस्या है इसपर नगर परिषद को अपने स्तर से विशेष ध्यान देने की जरूरत है. हालांकि बड़े-बड़े शहरों में विभिन्न सामाजिक संगठनों व एनजीओ के द्वारा जनहित में इस तरह के कार्य किये जाते हैं लेकिन अररिया में ऐसे मौके पर संस्थाएं भी शिथिल पड़ जाती है.

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