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बिजली बचत के लिए 154 उपभोक्ताओं ने लगाए सोलर पैनल

बिजली बचत के लिए 154 उपभोक्ताओं ने लगाए सोलर पैनल

मुजफ्फरपुर. बिजली बचत को लेकर उपभोक्ताओं के लिए छत पर रूफटॉप सोलर पैनल की योजना कंपनियों की ओर से चलायी जाती है. इसे लगवाने में जो खर्च आता है उसमें सरकार की ओर से सब्सिडी का प्रावधान है. सब्सिडी प्रतिकिलोवाट के हिसाब से अलग-अलग तय है जो करीब पचास प्रतिशत के आसपास है. अब तक शहर में छोटे-बड़े 154 उपभोक्ता हैं जो इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. उपभोक्ताओं को इसके लिए बिजली कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना है. सोलर पैनल के लिए 26 कंपनी रजिस्टर्ड हैं. उपभोक्ता एजेंसी का चयन करते हैं, इसके बाद एजेंसी उपभोक्ता के परिसर का निरीक्षण करती है. कितनी कैपेसिटी का पैनल लगेगा, इसकी मंजूरी देती है.जिसे पोर्टल पर अपलोड किया जाता है. उसके बाद सहायक अभियंता तकनीकी जांच करते हैं. इसके बाद मीटरिंग के लिए उपभोक्ता व एजेंसी के साथ एकरारनामा होता है. नेट मीटिरिंग एकरारनामा के बाद आवेदक द्वारा कुल भुगतान की राशि का 80 प्रतिशत भुगतान के लिए उपभोक्ता को मैसेज जायेगा. इसके बाद एजेंसी के बैंक एकाउंट में भुगतान होता है. एजेंसी द्वारा सामान की आपूर्ति के बाद 20 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जाता है. इस संबंध में शहरी वन डिवीजन के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि इसमें उपभोक्ता जो प्रति माह अपने घर में बिजली खपत करते हैं और सोलर पैनल से जो बिजली उत्पादित होती है. वह उपभोक्ता के बिजली खपत के यूनिट में एडजस्ट होती है. निजी घर व हाउसिंग सोसाइटी में अलग-अलग सब्सिडी उपभोक्ता निजी घर और हाउसिंग सोसाइटी में इसे लगवाते हैं तो दोनों में सब्सिडी का अलग-अलग प्रावधान है. इसमें उपभोक्ता 1 से 500 किलोवाट का पैनल लगवा सकते हैं. सामान्य उपभोक्ता के लिए किलोवाट के पैनल का शुल्क 70808 रुपये है, जिसमें उपभोक्ता को 36099 रुपये देना है. वहीं ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में इसका शुल्क 70808 रुपये है और उपभोक्ता को 46779 रुपये देने होते हैं. इसी तरह प्रतिकिलोवाट का शुल्क व सब्सिडी की राशि अलग-अलग तय है. इसमें उपभोक्ता अपने घर पर जो पैनल लगवाते हैं, उसका एक साल का एग्रीमेंट बनता है. उपभोक्ता ने एक महीने में 400 यूनिट बिजली खपत की और सोलर पैनल से 350 यूनिट का उत्पादन हुआ तो उपभोक्ता को महज 50 यूनिट का ही बिजली बिल भुगतान करना होगा. इसी तरह सर प्लस होने पर वह उनके खाते में बैलेंस में एड होता जाता है. उपभोक्ता जितने किलोवाट का आवेदन करे, लेकिन सोलर पैनल वाली एजेंसी उनके परिसर का निरीक्षण करने के बाद बताती है कि उनके यहां कितने किलोवाट का पैनल लगाया जा सकता है. यहां शहर में कई निजी उपभोक्ता के अतिरिक्त अस्पताल, रेलवे स्टेशन, डाक घर सहित कई सरकारी व निजी ऑफिस में यह पैनल लगा हुआ है.

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