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दो अस्पतालों को देना होगा 15 लाख का मुआवजा

ुर्गापुर के दो अस्पतालों को रानीगंज के युवा समाजसेवी गौरव केडिया की पत्नी रमी केडिया की उचित देखभाल नहीं करने एवं इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप में 10 लाख रुपये और पांच लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा है. रमी केडिया की एक लड़की को जन्म देने के बाद मृत्यु हो गयी थी. मिशन अस्पताल पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.

रानीगंज.

स्टेट क्लीनिकल इस्टाब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमिशन ने सोमवार को दुर्गापुर के दो अस्पतालों को रानीगंज के युवा समाजसेवी गौरव केडिया की पत्नी रमी केडिया की उचित देखभाल नहीं करने एवं इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप में 10 लाख रुपये और पांच लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा है. रमी केडिया की एक लड़की को जन्म देने के बाद मृत्यु हो गयी थी. मिशन अस्पताल पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया. पश्चिम बंगाल क्लीनिकल इस्टाब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन के अध्यक्ष असीम बनर्जी ने बताया कि जिस समय महिला को भर्ती कराया गया,उस समय वहां कोई भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं था. वहीं हेल्थवर्ल्ड हॉस्पिटल्स पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जहां पर महिला को दो घंटे से अधिक समय तक आपातकालीन वार्ड में रखा गया, उसकी हालत पहले ही खराब हो चुकी थी, वहां भी किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ ने उसकी जांच नहीं की. असीम बनर्जी ने कहा कि जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गयी तो मरीज को सर्जरी के लिए ले जाया गया. मृत महिला के पति गौरव केडिया ने कहा कि पिछले साल सितंबर में वह अपनी पत्नी रमी केडिया को प्रातः रानीगंज में स्त्री रोग विशेषज्ञ देवाशीष भट्टाचार्य के पास ले गये थे. जहां डॉक्टर ने कहा कि उसे तत्काल सी-सेक्शन की आवश्यकता है. डॉक्टर ने मिशन अस्पताल के किसी महिला चिकित्सक से बात करने की बजाय मार्केटिंग विभाग का नंबर देकर बातचीत कराया. उसकी पत्नी का 33 वां महीना चल रहा था. मिशन अस्पताल ने यह कहते हुए उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया कि उनके पास बाल चिकित्सा संबंधी महत्वपूर्ण वार्ड नहीं है. जबकि उसे सुबह 10.10 से 11.14 बजे तक अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में रखा गया था. इस दौरान किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ ने महिला की जांच नहीं की, उसे केवल आईवी तरल पदार्थ दिये गये थे. असीम बनर्जी ने कहा कि सुनवाई के दौरान, अस्पताल (मिशन) ने कहा कि उनके पास नवजात शिशुओं के लिए इंटेसिव केयर वार्ड नहीं हैं और इसलिए भर्ती लेने से इनकार कर दिया, लेकिन वे इस बात पर कोई संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे कि वे महिला का इलाज करने में भी क्यों विफल रहे. दूसरी और मिशन अस्पताल के चिकित्सा निदेशक पार्थ पाल ने कहा कि उस समय हमारे पास कोई बाल चिकित्सा क्रिटिकल केयर बेड खाली नहीं था और हमने परिवार को आते ही यह बात बता दी. चूंकि यह समय से पहले प्रसव का मामला था और बच्चे को गंभीर देखभाल की आवश्यकता हो सकती थी, इसलिए हमलोगों ने रोगी के परिजनों को बता दिया. उनके पास इस मामले को संभालने के लिए संसाधन नहीं थे और संसाधनों वाला अस्पताल केवल 10 मिनट की दूरी पर था. इसके बाद परिवार महिला को दुर्गापुर के हेल्थवर्ल्ड हॉस्पिटल ले गया. दोपहर 12.15 बजे मरीज का इसीजी किया गया और रिपोर्ट ‘असामान्य’ थीं. दोपहर दो बजे के बीच आपातकालीन वार्ड में उसे अंततः भर्ती किया गया. अल्ट्रासाउंड किया गया और उसमें गर्भाशय फटा हुआ दिखा. दोपहर तीन बजे उसे ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया. जहां स्थिति पहले से ही नियंत्रण से बाहर थी. दोपहर करीब साढ़े तीन बजे महिला को आइसीयू में शिफ्ट किया गया. शाम को महिला का िनधन हो गया. गौरव केडिया ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी के मृत्यु के लिए 15 लाख का मुआवजा नहीं बल्कि दोनों अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग की है एवं अस्पताल प्रबंधन को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है. गौरव ने बताया कि बीते 20 दिन पूर्व उन्होंने रानीगंज के चिकित्सक तथा दोनों अस्पताल प्रबंधन पर दुर्गापुर के अरबिंदो थाने में शिकायत भी दर्एज की है और वह इस मामले में हाई कोर्ट,जरूरत पड़े तक सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई लड़ेंगे ताकि फिर से किसी व्यक्ति को इस तरह की इलाज में लापरवाही का शिकार न होना पड़े.

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