कटिहार
. जिला लोक स्वास्थ्य प्रमंडल कटिहार स्थित जिला स्तरीय जल जांच प्रयोगशाला में कमियों का टोटा है. जिला स्तरीय जल जांच प्रयोगशाला में एक केमिस्ट के सहारे ही सभी 15 पैरामीटर पर जल की जांच हो रही है. इससे कार्य प्रभावित होने की संभावना बराबर बनी रहती है. साथ ही जल जांच कराने आये लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. दो से तीन दिन की होने वाली जांच के लिए कभी कभार एक सप्ताह तक इंतजार करना पड़ता है. जल जांच कराने आये लोगों की माने तो पानी की जांच 15 पैरामीटर पर की जाती है. एक तो कर्मियों की कमी ऊपर से बिजली की आंखमिचौनी के कारण अक्सर परेशान होना पड़ता है. इसका नतीजा है कि कभी कभार लोगों को बिना जल जांच के ही आयरनयुक्त पानी पीने की मजबूरी बन जाती है. सब डिविजनल बारसोई जल जांच प्रयोगशाला में विवाद के कारण कई माह से केंद्र बंद पड़ा है, तो कुरसेला सब डिविजनल जल जांच प्रयोगशाला लैब सहायक के सहारे की जल की जांच हो रही है. जिला स्तरीय जल जांच प्रयोगशाला में स्वीकृत पद के विरुद्ध कार्यरत काफी कम है. केमिस्ट के रूप में एक स्वीकृत पद पर एक कार्यरत सहायक रसायन पद के विरुद्ध शून्य, प्रयोगशाला सहायक के एक स्वीकृत पद के विरुद्ध कार्यरत शून्य एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर के एक पद के विरुद्ध कार्यरत शून्य ही है. विभागीय पदाधिकारियों का कहना है कि मनिहारी व कुरसेला के जल में सबसे अधिक आर्सेनिक की मात्रा अधिक है. इसलिए इन जगहों पर प्रतिमाह आर्सेनिक की जांच के लिए दबाव बनाया जाता है. जबकि शेष प्रखंडों में आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण लाभुकों से हर तीन माह पर जल जांच के लिए अपील की जाती है.कई जगहों पर सात मिली ग्राम पर लीटर है आयरन
जल जांच प्रयोगशाला के केमिस्ट अवधेश प्रसाद का कहना है कि कुल 15 पारामीटर पर जल की जांच की जाती है. विशेष रूप से आयरन व आर्सेनिक जांच अत्यावश्यक है. ऐसा इसलिए कि पानी में एक मिली ग्राम पर लीटर होना चाहिए. लेकिन अक्सर जगहों पर सात से ऊपर पीपीएम है. इससे शुद्ध करने के लिए आईआरपी आयरन रिमुवल प्लांट लगाना आवश्यक हो जाता है. इसी तरह कुरसेला व मनिहारी में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 की जगह 15 से 25 पीपीएम तक है. इसके लिए डब्लूटी लगाये जाने के कारण दबाव बनाया जाता है. जिला लोक स्वास्थ्य प्रमंडल के सहायक अभियंता अभिषेक कुमार ने बताया कि जिला स्तरीय जल जांच प्रयोगशाला में कमियों की संख्या काफी कम है. जल जांच के लिए समय निर्धारित है. तय समय पर जांच कर लाभुकों को उपलब्ध कराया जाता है. स्वीकृत पद पर कमियों की पूर्ति के लिए विभाग को पत्राचार किया गया है. एक-दो माह में व्यवस्था करने का आश्वासन दिया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है