कटोरिया. कटोरिया बाजार के लकरा मुहल्ला में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के चौथे दिन बुधवार को गंगोत्री से पहुंचे कथावाचक ओमप्रकाश शास्त्री ने कर्दम व देवहूति वंश की कथा सुनायी. इस क्रम में बताया गया कि कर्दम ऋषि ब्रह्मा जी के पुत्र थे. ब्रह्मा जी ने इनको आदेश दिया कि सृष्टि का कार्य आगे बढ़ाओ. कर्दम ऋषि जन्मजात विरक्त थे. भगवान के प्रेमी थे, लेकिन पिता के आज्ञाकारी थे. उनका गृहस्थाश्रम में जाने का मन नहीं था, पर पिता की आज्ञा को मानना भी आवश्यक था. अत: उन्होंने बीच का रास्ता निकाला. कर्दम जी ने सोचा कि पिता की आज्ञा का पालन तो करना है, पर पहले कोई ऐसा काम कर लो जिससे सृष्टि में प्रवेश करने के बाद उससे बाहर निकलने का रास्ता मिल जाय. गृहस्थाश्रम में जाने से पहले गृहस्थाश्रम के झंझटों से कैसे निकलेंगे, ये सीखकर तब जाना चाहिए. उन्होंने सरस्वती नदी के किनारे भगवान की आराधना प्रारंभ कर दी. सरस्वती के किनारे शंख, चक्र, गदा हाथ में लिए भगवान प्रकट हो जाते हैं. कर्दम जी भगवान की स्तुति करते हुए कहते हैं प्रभु आपको पाने के बाद यदि कोई आपसे दुनिया की वस्तु मांगता है, तो आपकी माया के द्वारा ठगा गया है. कर्दम जी भगवान से कहते हैं कि पिताजी ने सृष्टि रचना के लिए गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने की आज्ञा दी है. गृहस्थाश्रम में रहते हुए कर्दम जी ने भगवान से प्रार्थना किया कि आपने वचन दिया था. हमारे घर पुत्र रूप में आएंगे, अत: अपना वचन पूरा कीजिए. भगवान देवहूति मैया के गर्भ में प्रवेश करते हैं, गर्भ में प्रवेश करते ही सभी देवता भगवान की स्तुति करते हैं. इसके बाद भगवान अपनी दैवीयमान स्वरुप में गर्भ से प्रकट हो जाते हैं. फिर भारी उत्सव मनाया गया. कर्दम जी ब्रह्मा जी से कहते हैं कि अब मुझे इन नौ कन्याओं के विवाह की चिंता है. ब्रह्मा जी ने कहा तुम चिंता क्यों करते हो तुम्हारे घर तो स्वयं भगवान पधारे हैं. तुम चिंता करने के बदले प्रभु का चिंतन करो. ब्रह्मा जी ने कन्याओं का विवाह करा दिया. कपिल भगवान पालने में लेटे हैं. कर्दम ऋषि ने उन्हें साष्टांग प्रणाम किया और बोले आपकी आज्ञा हो तो अब मैं संन्यास लेकर जीवन मुक्ति का आनंद लूं. भगवान ने पालने में लेटे लेटे उपदेश कर दिया जाओ तुम जीवन मुक्ति का आनंद लो. कथा के अंत में आरती ‘श्रीभागवत भगवान की है आरती, पापियों को पाप से है तारती’ का सामूहिक गायन हुआ. फिर श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का भी वितरण किया गया. यहां आयोजन को सफल बनाने में हरेराम सिंह, पूजक राजू सिंह, उनकी धर्मपत्नी रेणुका देवी, रंजीत सिंह, बबलू सिंह, मनोज सिंह, श्रवण सिंह उर्फ लोहा सिंह आदि अहम भूमिका निभा रहे हैं. वहीं कथा के प्रारंभ में दिनेश पांडेय व रामप्रकाश शरण ने वेद व्यास व ठाकुर जी की पूजा-अर्चना करायी. इस दौरान श्रीकृष्ण के भजनों पर संगीत में तबला वादक ऋषिकेश पांडेय व संगीत वादक ओमप्रकाश तिवारी संगत दी.
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