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आलमगीर की गिरफ्तारी : 10 हजार की कमीशनखोरी से शुरू हुई जांच 40 करोड़ की बरामदगी तक पहुंची

ग्रामीण विकास विभाग में 10 हजार रुपये की कमीशनखोरी के मामले से शुरू हुई प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की जांच 40 करोड़ रुपये की बरामदगी तक पहुंची है. जांच का सिलसिला अभी जारी है.

रांची (शकील अख्तर). ग्रामीण विकास विभाग में 10 हजार रुपये की कमीशनखोरी के मामले से शुरू हुई प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की जांच 40 करोड़ रुपये की बरामदगी तक पहुंची है. जांच का सिलसिला अभी जारी है. अब तक की जांच में मिले सबूतों के मद्देनजर इस मामले में अभी बड़े अधिकारियों के फंसने की संभावना जतायी जा रही है. हालांकि राज्य में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए बनी एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने तो इस मामले पर पूरी तरह पर्दा डाल दिया था. एसीबी की जांच सिर्फ कनीय अभियंता सुरेश वर्मा और बीरेंद्र राम के रिश्तेदार आलोक रंजन पर आकर खत्म हो गयी थी. पर इडी ने इस मामले में कार्रवाई की.

बीरेंद्र राम के रिश्तेदार के कमरे से मिले थे 2.67 करोड़ रुपये

ग्रामीण विकास विभाग में इडी जांच की कहानी एसीबी द्वारा जमशेदपुर में 10 हजार रुपये घूस लेते गिरफ्तार किये गये कनीय अभियंता (जेइ) सुरेश वर्मा से शुरू हुई थी. एसीबी ने ठेकेदार रामनाथ शर्मा की शिकायत पर इंजीनियर सुरेश वर्मा को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ 2019 में गिरफ्तार किया था. ठेकेदार राम नरेश शर्मा अपनी मां के नाम पर बनी कंपनी जयमाता दी इंटरप्राइजेज के नाम पर टेंडर लेता था. उसे 11.54 लाख रुपये लागत मूल्य का टेंडर मिला था. काम करने के बाद उसे 4.54 लाख रुपये का भुगतान लेना था. इसके लिए इंजीनियर से बिल पास कराना जरूरी थी. बिल पास करने के लिए इंजीनियर कमीशन के रूप में 28 हजार रुपये की मांग कर रहा था. ठेकेदार ने इसकी शिकायत एसीबी से की थी. इस मामले में एसीबी ने 13 नवंबर को प्राथमिकी (13 / 2019) दर्ज की थी. ठेकेदार से बातचीत के बाद इंजीनियर ने पहली किस्त के रूप में 10 हजार रुपये देने के बाद बिल पास करने पर सहमति दी. इसके बाद एसीबी ने 14 नवंबर को 10 हजार रुपये लेते हुए सुरेश वर्मा को गिरफ्तार किया. सुरेश वर्मा को गिरफ्तार करने के बाद एसीबी ने सुरेश वर्मा के घर की तलाशी ली. तलाशी के दौरान वर्मा के घर से 63,870 रुपये नकद, जेवरात, बैंक खाता आदि जब्त किये गये. घर की ऊपरी मंजिल को कार्यपालक अभियंता बीरेंद्र राम के रिश्तेदार आलोक रंजन को किराये पर दिया गया था. एसीबी ने ऊपरी मंजिल के कमरे की तलाशी 15 नवंबर को ली. इसमें अलमारी से 2.67 करोड़ रुपये मिले.

आयकर विभाग की टीम को रोक दिया था एसीबी ने

चुनावी मौसम में इंजीनियर सुरेश वर्मा के ठिकाने से छापेमारी के दौरान भारी नकदी जब्त किये जाने की सूचना पर आयकर की टीम भी वहां पहुंची, लेकिन एसीबी के अधिकारियों ने आयकर की टीम को घर के अंदर जाने से रोक दिया और जांच में सहयोग नहीं किया. आयकर विभाग ने इसकी शिकायत राज्य के उच्चाधिकारियों से की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. एसीबी ने इस पूरे प्रकरण की जांच के बाद जनवरी 2020 में न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया. एसीबी ने सुरेश वर्मा और आलोक रंजन के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया, लेकिन रुपये का स्रोत पता नहीं लगा सका. इसलिए एसीबी ने एक दूसरा मामला (1/2020) दर्ज किया, लेकिन वह रुपयों के स्रोत का पता लगाने में असमर्थ रहा. कमीशनखोरी के इसी मामले की जांच के लिए इडी ने 17 सितंबर 2020 को इसीआइआर (16/2020) दर्ज किया. इडी ने एसीबी के आरोप पत्र और केस डायरी की समीक्षा की. इसमें यह पाया कि सुरेश वर्मा ने एसीबी को दिये गये बयान में यह कहा था कि आलोक रंजन, बीरेंद्र राम का रिश्तेदार है. बीरेंद्र राम और उनकी पत्नी हमेशा आलोक रंजन के पास आते रहते हैं. सुरेश वर्मा ने आलोक रंजन के पास से जब्त रुपयों के बीरेंद्र राम के होने की बात कही थी, लेकिन एसीबी ने इसकी जांच करने के बदले मामले पर पर्दा डाल दिया. जिससे एसीबी के स्तर से बीरेंद्र राम के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी.

बीरेंद्र राम के पारिवारिक सदस्यों का ऐशो आराम भी हुआ उजागर

इसीआइआर दर्ज करने के बाद इडी ने मामले की जांच शुरू की. बीरेंद्र राम पर नजर रखना शुरू किया. बीरेंद्र राम की गतिविधियों के सिलसिले में सूचनाएं जुटाने के बाद इडी ने फरवरी 2023 मे बीरेंद्र राम व उससे संबंधित लोगों के ठिकानों पर छापा मारा. छापेमारी में कमीशनखोरी के सबूत मिले. कमीशन की रकम पर बीरेंद्र राम के पारिवारिक सदस्यों के ऐशो आराम का मामला उजागर हुआ. बीरेंद्र के एक महीने का घरेलू खर्च उसके एक साल के वेतन से ज्यादा निकला. बेटा 300-400 रुपये लीटर मूल्य का मिनरल वाटर पीता था. 35-40 हजार की कीमत का शर्ट एक बार पहन कर फेंक देता था. कमीशन के पैसों की लाउंड्रिंग कर खरीदे गये मकान के एक कमरे में एक बार पहन कर फेंके गये महंगे कपड़ों का ढेर मिला. इसे देखकर इडी के अफसर भी हैरतजदा हो गये. फरवरी 2023 में गिरफ्तारी के बाद से बीरेंद्र राम जेल में बंद है. जांच के बाद इडी द्वारा पारिवारिक सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया जा चुका है. मामले में सुनवाई चल रही है. बीरेंद्र राम के पैसों की लाउंड्रिंग के आरोप में हवाला कारोबारी, सीए सहित कुल नौ लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं.

… और, छापामारी में इडी ने 40 करोड़ रुपये जब्त किये

इडी ने बीरेंद्र राम द्वारा दिये गये बयान और उसके ठिकानों से मिले दस्तावेज के आधार पर अपनी जांच जारी रखी. बीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के 15 महीने बाद इडी ने छह मई की सुबह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और निजी सहायक जहांगीर आलम सहित कुछ इंजीनियरों और ठेकेदार के घर पर छापा मारा. इडी ने सात मई को भी कुछ इंजीनियर और ठेकेदार के ठिकानों पर छापा मारा. आठ मई, 2024 को इडी ने सचिवालय स्थित संजीव लाल के कमरे में छापा मारा. संजीव लाल के कमरे की तलाशी के लिए पहली बार कोई केंद्रीय जांच एजेंसी छापेमारी के लिए सचिवालय में घुसी थी. इस छापेमारी में कुल 40 करोड़ रुपये जब्त किये गये. इसमें से 32.20 करोड़ रुपये तो निजी सहायक जहांगीर के घर से मिले.

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