– रिपोर्ट के आधार पर बाल श्रमिकों की प्रकृति का होगा अध्ययन – इसके लिए हर पंचायत में रखे जायेंगे विशेष रजिस्टर संवाददाता, पटना राज्यभर में बाल श्रम मुक्त करने के लिए अब मुखियाजी की सहायता ली जायेगी. श्रम संसाधन विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है.इसके लिए हर पंचायत में एक विशेष रजिस्टर रखे जायेंगे.इसके आधार पर बाल श्रमिकों का डाटा तैयार किया जायेगा. इसके बाद बाल श्रमिकों की प्रकृति का अध्ययन किया जायेगा. अध्ययन के आधार पर राज्य सरकार इस दिशा में कार्रवाई करेगी. लोकसभा चुनाव के बाद विभाग ने इस पर काम शुरू करने की तैयारी कर ली है. बाल श्रमिकों के लिए चल रही है कई योजनाएं विभागीय अधिकारियों का मानना है कि राज्य को बाल श्रम मुक्त करने के लिए श्रम संसाधन विभाग की ओर से कई योजनाएं चलायी जा रही हैं. अधिकारी औचक छापेमारी कर रेस्टोरेंट, ढाबों व होटलों के अलावा फैक्ट्रियों में काम करने वाले बच्चों को रिहा कराया जा रहा है. वहीं, बिहार के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी बच्चों को रिहा कराकर घर भी लाया जाता है. रिहा होने वाले बच्चों को सरकार की ओर से सहायता भी दी जाती है. इसके बावजूद राज्य में बाल श्रम रुक नहीं रहा है. बाल श्रमिकों का इस कारण से अध्ययन जरूरी इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए ही विभाग ने तय किया है कि बाल श्रमिकों का अध्ययन किया जाये. इसके लिए सबसे पहले पंचायत स्तर पर बाल श्रमिकों का आंकड़ा एकत्रित किया जायेगा. इस काम में मुखिया के अलावा अन्य जनप्रतिनिधियों की भी सहायता ली जायेगी. पंचायत स्तर पर एक रजिस्टर रखा जाएगा, जिसमें पंचायत से बाहर जा रहे बच्चों की पूरी जानकारी एकत्रित की जायेगी. आम लोगों में जागरूकता लाने के लिए एक जागरूकता समिति का गठन किया जायेगा. इस समिति में स्थानीय प्रतिनिधियों के अलावा एनजीओ, सामुदायिक नेता और संबंधित गांव के लोगों को शामिल किया जायेगा. यह समिति लोगों को बाल श्रम के बारे में जागरूक करेगी. स्कूली बच्चों की भी सहायता ली जायेगी पंचायत स्तर पर स्कूली बच्चों, शिक्षकों की भी सहायता ली जायेगी.जनप्रतिनिधियों का सहयोग लेकर प्रभात फेरी निकाली जायेगी, जिससे लोगों के मन-मस्तिष्क में बाल श्रम को लेकर एक अच्छी धारणा बने. वहीं, नुक्कड़ नाटक, कठपुतली, लोकगीत के माध्यम से रचनात्मक और आकर्षक तरीकों का उपयोग कर बाल श्रम के बारे में लोगों को बताया जायेगा. सरकार के अधिकारी पंचायत स्तर पर बैठक का भी आयोजन करेंगे ताकि वे बाल श्रम की जमीनी हकीकतों से रू-ब-रू हो सके.सोशल मीडिया का उपयोग किया जायेगा,जिसके तहत बाल श्रम रोकने का अभियान चलाया जायेगा. जागरूकता अभियान का लोगों पर कितना असर हो रहा है, इसके लिए लोगों से सुझाव भी लिए जायेंगे. बाल श्रम के विरुद्ध कानून का समर्थन करने वाले लोगों से शपथ-पत्र पर हस्ताक्षर भी कराया जायेगा, ताकि लोग अपने संस्थानों या घरों में बच्चों से श्रम न कराएं.
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