इंटरनेट ने दुनिया को एक गांव में तब्दील कर दिया था, पर डिजिटलीकरण ने उस दुनिया को और बदल दिया है. दूरियां खत्म कर दी है. कहीं से भी, कभी भी संवाद स्थापित करना पलक झपकते संभव है. परंतु इसी सरलता ने देशी-विदेशी अपराधियों को मौका दे दिया है और वे सक्रिय हो गये हैं.
आज ऐसे लोग मौजूद हैं जो इसका लाभ उठाकर आम आदमी और हमारे देश को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. साइबर हमलों के माध्यम से ऐसे प्रयास बढ़ रहे हैं, जिनमें से कुछ स्थानीय आपराधिक तत्वों के अलावा सीमाओं के पार से प्रायोजित अपराधी भी शामिल हैं.
इन हमलों का उद्देश्य भारत के दूरसंचार, बैंकों, बिजली, अस्पतालों से लेकर सरकारी और निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों तक के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करना और लूट, फिरौती एवं अराजकता के माध्यम से अविश्वास पैदा करना है. इन दिनों साइबर हमलावरों ने दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई नगरों में ईमेल भेजकर स्कूल, स्टेशन, हवाई अड्डों को बम से उड़ाने की धमकी देनी शुरू की है. सुरक्षा एजेंसियों ने पता लगा लिया है कि यह शांति भंग करने की एक साजिश है और एक गिरोह ईमेल भेजकर सभी को डरा रहा है.
सुरक्षा एजेंसियों ने इस अपराध को रोकने के लिए कई उपाय किये हैं, उम्मीद है कि अपराधियों का जल्द ही पता लग जायेगा. जी-20 के दौरान तो भारतीय प्रतिष्ठानों और जी-20 आयोजनकर्ताओं के दफ्तरों पर हजारों नहीं लाखों हमले हुए. परंतु हमारी एजेंसियों ने अपना कौशल दिखाते हुए उन्हें नाकाम कर दिया.
जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान हर 60 सेकेंड में 16 लाख साइबर अटैक हुए थे. केंद्रीय एजेंसियों ने अपनी त्वरित कार्रवाई से साइबर अपराधियों को उनके मंसूबों में सफल नहीं होने दिया. केवल देश ही नहीं, आम जन पर भी लगातार ऐसे हमले हो रहे हैं. साइबर अपराधी आम जनता को कॉल करके उनसे ठगी कर रहे हैं. देश में रोजाना साइबर अपराध के चलते 50000 कॉल मिल रही हैं. एक लाख लोगों पर 129 शिकायतें दर्ज हो रही हैं. हजारों साइबर अपराधी पकड़े जा रहे हैं और उन पर कार्रवाइयां हो रही हैं.
इन अपराधों को रोकने तथा लोगों में विश्वास पैदा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह की टीम द्वारा शुरू की गयी ‘साइबर सेफ इंडिया पहल’ गृह मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. केंद्रीय गृह मंत्रालय में साइबर क्राइम से निपटने के लिए स्थापित किये गये ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आईफोरसी) ने अब तक उल्लेखनीय कार्य किया है.
विदेशों से हमले करने वाले साइबर अपराधियों के पास आधुनिकतम डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है. वे कहीं से भी हमला करते हैं और हमारे देश के महत्वपूर्ण संस्थानों की वेबसाइटों तथा संचार व्यवस्था को ध्वस्त करने की कोशिश करते हैं या वहां से सूचनाएं चुराने का प्रयास करते हैं. हमारे कई बड़े संस्थानों पर ऐसे हमले हो चुके हैं, पर अधिकतर निष्फल ही हुए है. इस तरह के हमले चीन, पाकिस्तान से तो होते ही हैं, तुर्की और यहां तक की अमेरिका-कनाडा से भी होते हैं.
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आइफोरसी) ने देशभर में 1200 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है और लगभग पांच लाख शिकायतों का निपटारा किया है.
यह केंद्र विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों और हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित करने के अतिरिक्त, साइबर अपराध से निपटने के लिए देश के भीतर क्षमता निर्माण करने का भी प्रयास कर रहा है. इसने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के लॉन्चिंग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी, जिसका उपयोग पहले से ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 लाख से अधिक साइबर अपराध शिकायतों, 66,000 एफआईआर के साथ 14 करोड़ बार किया जा चुका है. क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (सीसीटीएनएस) के माध्यम से 12.30 करोड़ से अधिक मामलों का निपटान किया जा चुका है.
राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (एनसीएफएल) साइबर घटनाओं से संबंधित जांच में सहायता करती है. चूंकि ऐसे अपराध राज्य की सीमाओं से परे होते हैं, इसलिए आइफोरसी ने बेहतर अंतर-राज्य समन्वय के लिए संयुक्त साइबर अपराध समन्वय दल जेसीसीटीएस की स्थापना की है. आइफोरसी के अंतर्गत राष्ट्रीय साइबर अपराध पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन इकाई साइबर स्वच्छता में जागरूकता के लिए ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ अपनाती है. ‘साइबर दोस्त’ नामक एक सोशल मीडिया हैंडल भी संचालित किया जा रहा है, जो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा से जुड़े टिप्स मुहैया कराता है. गृह मंत्रालय द्वारा ‘साइबर जागृति दिवस’ नामक एक पहल भी आरंभ हुई है, जिसे राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों और स्कूलों, कॉलेजों द्वारा हर महीने के पहले बुधवार को सुबह 11 बजे शुरू किया जाता है.
गृह मंत्री ने गुरुग्राम में ‘एनएफटी, एआइ और मेटावर्स के युग में अपराध और सुरक्षा’ विषय पर जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों से साइबर स्वयंसेवक दस्ते को हरी झंडी दिखाई थी. डिजिटल रूप से सुरक्षित भारत की जरूरत बन चुका आईफोरसी पहल विकसित भारत के आह्वान को एक मजबूती प्रदान करता है. भविष्य में बड़े पैमाने पर डिजिटल दुनिया में होने वाले अपराधों को रोकने, कम करने और उन पर निगरानी रखने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की देखरेख में एक राष्ट्रव्यापी साइबर अपराध रोकथाम तंत्र कार्यरत है.
भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है. परंतु इसके मार्ग में साइबर अपराधी खड़े हैं. कई देश नहीं चाहते कि भारत इतनी तरक्की करे और इसके लिए वे साइबर हमलों का सहारा लेते हैं ताकि उनकी पहचान छुपी रहे, परंतु हमारी एजेंसियां भी इतनी चुस्त-दुरस्त हैं कि वे पकड़ ही लेती हैं कि हमला कहां से हो रहा है या इसके पीछे कौन-कौन से तत्व हैं. हमलावर भी चुप नहीं बैठते और उनके विरुद्ध हमारी ओर से भी जवाबी हमले किये जाते हैं ताकि उनकी कमर टूटे.
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शुरू किये गये तीन नये आपराधिक कानूनों का उद्देश्य साइबर अपराधियों द्वारा कानून के चंगुल से बचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कानूनी खामियों को दूर करना भी है. बावजूद इसके, अभी बहुत कुछ किये जाने की जरूरत है, परंतु इस क्षेत्र में सक्रिय रहने और ‘डिजिटल रूप से सुरक्षित भारत’ सुनिश्चित करने के प्रयासों की दिशा में सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है. सजग रहना ही समस्या का समाधान है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)