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जिले को कुष्ठ मुक्त बनाने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरू

जिले में 371 कुष्ठ रोगी, मुफ्त में होगा इलाज

नवादा कार्यालय.

जिले को कुष्ठ रोगियों से मुक्त करने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण का आयोजन सीएस डॉ रामकुमार प्रसाद की अध्यक्षता में की गयी. जिले में चले राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के दौरान 371 मरीजों को इस रोग से पीड़ित के रूप में चिह्नित किया गया हैं.

विभागीय जानकारी के अनुसार, जिले में 371 कुष्ठ रोगी हैं. कुष्ठ रोगियों से मुक्त करने के लिये जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया. जिले के सभी चिकित्सकों को 14, 15 और 16 मई को प्रशिक्षण दिया गया. चलाये गये प्रशिक्षण शिविर मे पटना से आए प्रशिक्षक एनऐलइपी डॉ चंद्रमणि और स्टेट कोऑर्डिनेटर शंभू नाथ तिवारी के द्वारा आये हुए चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया.

क्या कहते हैं अधिकारी:

सीएस डॉ राजकुमार प्रसाद ने कहा कि जिले को कुष्ठ मुक्त करना पहली प्राथमिकता है. कुष्ठ मुक्त करने के लिए सभी नर्सिंग स्टाफ से लेकर एमबीबीएस तक के डॉक्टर को प्रशिक्षित किया जा रहा है. इसके लिए जिला स्वास्थ्य समिति पूरी तत्परता से कम कर रही है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके लिए अभियान भी चलाया जा रहा है. स्वास्थ्य कर्मी गली गली मुहल्ले व अन्य जगहों पर जाकर कुष्ठ रोगियों की पहचान कर रहे हैं. कुष्ठ रोगियों के लिए फिजियोथैरेपी विभाग के डॉ राजीव रंजन और डॉ सुभाष सिंह महतो बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. डॉ राजीव रंजन ने कहा कि जो भी कुष्ठ के मरीज आते हैं, उसके लिए फिजियोथेरेपी विभाग थेरेपी सेवा के लिए हमेशा तैयार है.

कुष्ठ मरीजों का मुफ्त में होगा इलाज :कुष्ठ रोग एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है जो एक प्रकार के बैक्टीरिया, माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होता है. यह रोग मुख्य रूप से त्वचा और परिधीय तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है. उपचार न किए जाने पर यह रोग प्रगतिशील और स्थायी विकलांगता का कारण बन सकता है. यदि किसी व्यक्ति के शरीर का कोई हिस्सा तांबे के रंग जैसा हो गया है और इसमें सूनापन हो तो यह कुष्ठ रोग हो सकता है. हाथ व पैर के नस का मोटा होना, दर्द के साथ झुनझूनी होना भी इसके प्रारंभिक लक्षण होते हैं. यदि व्यक्ति के शरीर पर छह या कम दाग हो तो उसे पॉसीबैसिलारी (पीबी) के तहत छह महीने के इलाज से ठीक किया जाता हैं. यदि छह से अधिक दाग हो तो उसे मल्टीबैसिलारी (एमबी) के तहत 12 महीने के इलाज से भला चंगा किया जा सकता है. रोग से पीड़ित व्यक्ति को मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) की दवाएं मुफ्त में दी जाती हैं. इस बीमारी का इलाज पूरी तरह संभव हैं. इसलिए प्रारंभिक अवस्था में ही लोगों को इसका इलाज कराना चाहिए. रोग के लक्षण दिखनेवाले व्यक्ति व्यक्तियों की संपुष्टि पीएचसी में की गयी है. पीबी व एमबी के आधार पर रोगियों को मुफ्त में एमडीटी की दवा मुहैया करा इलाज किया जाता है. जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मुक्त इलाज की व्यवस्था की गई है. इलाज में कोई भी खर्चा नहीं लगता है. अगर किसी भी व्यक्ति को इन लक्षणों से जुड़े संदेह हूं तो वे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सदर अस्पताल मे संपर्क कर सकते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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