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jamshedpur loksabha history जमशेदपुर लोकसभा सीट पर टाटा समूह के चेयरमैन रुसी मोदी भी लड़ चुके है चुनाव, कारपोरेट हस्तियों को देखना पड़ा है हार का मुंह

ब्रजेश सिंहजमशेदपुर : जमशेदपुर लोकसभा सीट हमेशा से काफी चर्चित रही है. इसकी वजह है कि यह मजदूरों और कारपोरेट हस्तियों का भी जिला कहा जाता है. लेकिन यह भी चौंकाने वाला तथ्य है कि जमशेदपुर लोकसभा सीट से आज तक एक भी कारपोरेट हस्तियां चुनाव जीत नहीं सकी है. जमशेदपुर लोकसभा सीट से दो […]

Russi Modi 1
Jamshedpur loksabha history जमशेदपुर लोकसभा सीट पर टाटा समूह के चेयरमैन रुसी मोदी भी लड़ चुके है चुनाव, कारपोरेट हस्तियों को देखना पड़ा है हार का मुंह 2

ब्रजेश सिंह
जमशेदपुर
: जमशेदपुर लोकसभा सीट हमेशा से काफी चर्चित रही है. इसकी वजह है कि यह मजदूरों और कारपोरेट हस्तियों का भी जिला कहा जाता है. लेकिन यह भी चौंकाने वाला तथ्य है कि जमशेदपुर लोकसभा सीट से आज तक एक भी कारपोरेट हस्तियां चुनाव जीत नहीं सकी है. जमशेदपुर लोकसभा सीट से दो बार कारपोरेट हस्तियां चुनाव लड़ चुके है और उनको हार का मुंह देखना पड़ा है. सबसे बड़ा नाम रुसी मोदी का आता है, जो टाटा समूह के चेयरमैन और टाटा स्टील के एमडी रह चुके है. वे जमशेदपुर लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके है. वर्ष 1998 के आम चुनाव में वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे. बेदाग छवि, आम जनता के चहेते, ऊंची शख्सियत होने के बावजूद उनको हार का सामना करना पड़ा था. उनको भाजपा की प्रत्याशी आभा महतो (जमशेदपुर से ही दो बार के पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो की पत्नी) ने चुनाव हरा दिया था. 1998 में हुए चुनाव के दौरान रुसी मोदी ने इलेक्शन रिफार्म कानून लागू नहीं होने के कारण जमकर पैसा बहाया था. खूब खर्च किये थे. ताबड़तोड़ प्रचार किया था. उनका प्रचार का न्यूज कवरेज करने के लिए बीबीसी समेत देश दुनिया के कई मीडिया भी आयी थी, लेकिन अंतत: उनको हारना ही पड़ा. इतनी व्यवस्था और लोकप्रिय होने के बावजूद भाजपा की प्रत्याशी आभा महतो ने रुसी मोदी को 97433 वोटों से हरा दिया था. कांग्रेसी विचारधारा के रुसी मोदी का परिवारिक पृष्टभूमि राजनीतिक ही रहा है. उनके पिता सर होमी मोदी भी राजनीति में थे और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रह चुके थे. उनके भाई पीलू मोदी भी सांसद थे. पीलू मोदी को 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनको मीसा के तहत गिरफ्तार कर दिया था. वे स्वतंत्र पार्टी के प्रमुख थे और वे एक बार के सांसद भी रहे थे. 1998 के जमशेदपुर लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस से टिकट की मांग रुसी मोदी ने की थी और आवेदन दिया था, लेकिन उनको टिकट नहीं मिला था. रुसी मोदी निर्दलीय ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. लेकिन वे जीत नहीं पाये. उस चुनाव में भाजपा की आभा महतो को कुल 2 लाख 96 हजार 686 मत मिले थे जबकि रुसी मोदी को कुल 1 लाख 99 हजार 253 वोट मिले थे. उस वक्त कांग्रेस के साथ सीपीआइ का तालमेल था और सीपीआइ को टिकट मिला था, जिनके प्रत्याशी टीकाराम मांझी थे, जिनको कुल 95 हजार 939 वोट मिले थे. उस चुनाव में झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुधीर महतो निर्दलीय चुनाव लड़े थे, जिनको 70005 वोट मिला था जबकि ओंकारनाथ जायसवाल राजद के टिकट पर चुनाव लड़े थे, जिनको 40 हजार 664 वोट मिला था. पूर्व विधायक दीनानाथ पांडेय शिवसेना से चुनाव लड़े थे. उनको 3405 वोट मिले थे. इस चुनाव में कुल 7 लाख 14 हजार 864 रुपये पड़े थे. ढोलक छाप पर वे चुनाव लड़े थे, लिहाजा वे ढोलक लेकर ही चुनाव प्रचार करते थे. रुसी मोदी जैसी शख्सियत को हल्दीपोखर, पोटका, घाटशिला, डुमरिया जैसे गांवों में पैदल घुमते, ढोलक बजाते देख देश विदेश की मीडिया भी हैरत में थे. टाटा सूमो से उनका प्रचार चलता था. उनका नारा था ”हम आपको जानते है, आप हमको जानते है, बस यहीं काफी है. मैं जीत गया तो आपके सारे तकलीफ मेरे हो जायेंगे.” लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और वे हार गये. इसी तरह टाटा स्टील के एचआरएम के वाइस प्रेसिडेंट के पद पर रह चुके निरुप मोहंती भी चुनाव लड़े थे, लेकिन उनको हार का मुंह देखना पड़ा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में झामुमो ने निरुप मोहंती को अपना उम्मीदवार बनाया था. वे भाजपा के विद्युत वरण महतो के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे जबकि डॉ अजय कुमार दूसरी बार झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. निरुप मोहंती को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा. इस चुनाव में विद्युत वरण महतो चुनाव जीते थे जबकि झाविमो के डॉ अजय कुमार दूसरे नंबर पर थे. झामुमो ने सबको उस वक्त चौका दिया था जब साफ सूथरे प्रत्याशी के तौर पर निरुप मोहंती को कारपोरेट घराने से लाकर टिकट दे दिया था और चुनाव लड़ाया था. इस चुनाव में विद्युत वरण महतो को कुल 4 लाख 64 हजार 153 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे डॉ अजय कुमार को 3 लाख 64 हजार 277 वोट और तीसरे नंबर पर रहे निरुप मोहंती को झामुमो के टिकट पर 1 लाख 38 हजार 109 वोट मिले थे.

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