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सदर अस्पताल में सिजेरियन प्रसव संबंधित आधारभूत संरचना हुई मजबूत, मिल रही बेहतर सुविधा

प्रसव के दौरान के जटिलताओं के कारण कई माताओं को जान गंवानी पड़ती है. इस विषय पर जिला स्वास्थ्य विभाग निरंतर कार्य कर रहा है.

किशनगंज. प्रसव के दौरान के जटिलताओं के कारण कई माताओं को जान गंवानी पड़ती है. इस विषय पर जिला स्वास्थ्य विभाग निरंतर कार्य कर रहा है. सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की सदर अस्पताल में खासकर सी- सेक्शन ( सिजेरियन प्रसव) जटिलताओं वाले केश में लगातार किया जा रहा है . जहां पहले लोगों को सिजेरियन प्रसव के लिए प्राइवेट नर्सिंग होम पर निर्भर होना पड़ता तथा ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता था. अब वह समस्या खत्म हो गई है. आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019 से अब तक कुल तक 1623 से अधिक सी सेक्शन प्रसव सफलतापूर्वक सदर अस्पताल में कराए गए हैं. कोविड के दौरान शुरू हुई यह व्यवस्था अभी तक जारी है. कोविड के दौर में प्राइवेट नर्सिंग होम से लोग निराश हो गए. उस दरम्यान सदर अस्पताल में आम लोगो की निर्भरता काफी बढ़ गयी थी कोरोना काल में वर्ष 2019-20 में 373 एवं वर्ष 2020-21 में 405 सिजेरियन किया गया था . जिसमें तत्कालीन सिविल सर्जन, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन, महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यस्मिन एवं डॉ पूनम एवं स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम की अहम भूमिका रही. कोरोना काल में जटिल प्रसव कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा.जिले के सदर अस्पताल में हाईटेक व्यवस्था और प्रशिक्षित कर्मचारियों की वजह से मरीजों में विश्वास बढ़ रहा है. चिकित्सक सहित अन्य स्टाफ द्वारा जिम्मेदारी पूर्वक काम करने के साथ हीं मरीजों के साथ सहयोगात्मक व्यवहार की वजह से जिले के लोगों का भरोसा सदर अस्पताल के प्रति बढ़ रहा है.

उच्च जोखिम में सावधानी बहुत जरूरी

सदर अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. पूनम ने बताया उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था वह अवस्था है, जिसमें महिला या उसके भ्रूण के स्वास्थ्य या जीवन को खतरा होता है. किसी भी गर्भावस्था में जहां जटिलताओं को संभावना अधिक होती है, उस गर्भावस्था को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी या उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था में रखा जाता है. इस तरह की गर्भावस्था को प्रशिक्षित चिकित्सक की विशिष्ट देखभाल की आवश्यकता होती है. खानपान की रूटीन का पालन करना जरूरी है. खुराक में विटामिन को जरूर शामिल करें . जिससे कि डाइट लेने में किसी प्रकार की समस्या ना हो . ऐसे में तेल, घी और मसालेदार खाने से परहेज करें . इसके लिए लगातार सदर अस्पताल में लगातार एएनएम और जीएनएम नर्सो सहित अन्य मेडिकल स्टाफ के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. चिकित्सक, नर्स सहित अन्य मेडिकल स्टाफ द्वारा जिम्मेदारी पूर्वक काम करने के साथ हीं मरीजों के साथ सहयोगात्मक व्यवहार की वजह से लोगों का भरोसा सदर अस्पताल के प्रति बढ़ रहा है.

सदर अस्पताल का प्रसव कक्ष लक्ष्य सर्टिफाइड

सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने बताया हम लोगों ने सदर अस्पताल सिजेरियन प्रसव की व्यवस्था में गुणवता पूर्ण परिवर्तन किया है ,वही साथ-साथ लेबर रूम के साथ ऑपरेशन थियेटर भी हमारा लक्ष्य सर्टिफाइड है . हमारे पास प्रसव कक्ष में जितने मानक होने चाहिए सभी उपलब्ध हैं. ऑपरेशन थिएटर को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित बनाया गया है. जो किसी भी निजी अस्पताल से तुलना किया जाए तो कम नहीं है. हम आश्वस्त हैं कि गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सुविधा लोगों को उपलब्ध करवा रहे हैं . हम लोगों से अपील करते हैं कि सरकार जो इतना खर्चा करती है उसका आम लोग जरूर लाभ लें. बताया नार्मल की संभावना नहीं होने पर विशेष परिस्थिति में सीजर किया जाता है. लेबर रूम आधुनिक उपकरणों के साथ वैकुम एक्सट्रावर मशीन उपलब्ध हैं. जिससे प्रसव में आने वाली परेशानियों को दूर किया जाता है. वहीं प्रसव के तुरंत बाद नवजात शिशुओं के देख भाल के लिए एनबीसीसी लगा है, जिससे नवजात शिशु सुरक्षित रहते हैं. उन्होंने बताया कि 100 गर्भवती महिलाओं में 10 गर्भवती महिलाओं को सिजेरियन करवाने की जरूरत पड़ती है. सिजेरियन के लिए बेहोशी डाक्टर की भूमिका अहम होता है. सदर अस्पताल में एक ही बेहोशी की डाक्टर है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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