शाम होने से पहले ही महिलाएं बना लेती है भोजन, गांव के बच्चे अपने सपने पूरे करने के लिए ढ़िबरी में पढ़ने को है विवश राजेश डेनजील, नवहट्टा आजादी के 77 साल बीत जाने के बाद भी क़ैदली पंचायत के असेय गांव में बिजली नहीं जली है. जबकि गरीबों की झोपड़ी को रोशन करने के लिए राजीव गांधी विद्युत परियोजना संचालित होती रही है. अब दीनदयाल ज्योति योजना के तहत गरीबों तक बिजली पहुंचाने के लिए केंद्र व प्रदेश की सरकार दावा कर रही है. लेकिन इस गांव के हिस्से में अभी कुछ भी नहीं आया है. यहां के बच्चे आज भी डिजिटल इंडिया कि दुनिया से कोसों दूर है. केदली पंचायत का असेय गांव आजादी के 77 साल से अधिक बीत जाने के बाद भी बिजली की सुविधा से वंचित है. यहां हजारों की संख्या में ग्रामीण आज भी रात के अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से कई बार शिकायत की गयी. लेकिन किसी ने इस गांव की तरफ ध्यान नहीं दिया. जिसके कारण यहां के ग्रामीणों में आक्रोश है. सरकार ने हर घर बिजली पहुंचाने का वादा तो किया. लेकिन आज भी असेय जैसे कई गांव हैं जहां बिजली के लिए लोग ललाइत हैं. सरकार के विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाओं के द्वारा हर गांव में बिजली पहुंचाने का काम किया गया. लेकिन बिजली विभाग की लापरवाही के कारण कैदली पंचायत का असेय गांव आज भी बिजली की सुविधा से वंचित है. इस गांव में सैकड़ों परिवार एवं हजारों की संख्या में लोग रहते हैं. शाम होने से पहले महिलाएं बना लेती है खाना यहां शाम होने से पहले ही महिलाएं खाना बना लेती हैं. गांव के बच्चे अपने सपने पूरे करने के लिए लालटेन व ढ़िबरी में पढ़ने को विवश हैं. बरसात के मौसम में अंधेरा होने से जहरीले कीड़े मकौड़े के काटने का खतरा बना रहता है. डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस युग में गांव में कुछ ही लोगों के पास सोलर प्लेट व बैटरी इन्वर्टर है. मोबाइल के इस युग में इस गांव में बिजली नहीं रहने के कारण इंटरनेट की दुनिया से लोग बहुत दूर हैं. बिजली नहीं पहुंचने से हर घर मे नहीं है मोबाइल ग्रामीणों का कहना है कि जिले के डीएम से लेकर स्थानीय सांसद व विधायक सभी जगह उन्होंने गुहार लगा ली. लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है. आज कल तो एक घर में पांच सदस्य हैं तो कम से कम पांच मोबाइल उपयोग किया जा रहा है. लेकिन असेय में बिजली नहीं होने के कारण आज भी हर घर मे मोबाइल नहीं है. यहां के लोग आज भी डिजिटल दुनिया के सपना से कोसों दूर हैं. संचार क्रांति के जमाने में भी इस गांव के लोग टेलीविजन तक देखने से महरूम हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है