प्रतिनिधि, मुंगेर राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच चल रहे टकराव के बीच अब मुंगेर विश्वविद्यालय के लिये परेशानी बढ़ने लगी है. 16 मई को शिक्षा विभाग के बजट समीक्षा बैठक में एमयू की कुलपति प्रो. श्यामा राय के शामिल नहीं होने को लेकर जहां शिक्षा विभाग द्वारा कुलपति से स्पष्टीकरण पूछा गया है. वहीं शिक्षा विभाग द्वारा अगले आदेश तक के लिये एमयू के पीएल खाता सहित सभी बैंक खातों के संचालन पर रोक लगा दी गयी है. शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव द्वारा कुलपति को पत्र भेजा है. जिसमें कहा गया है कि विभाग के स्तर पर विश्वविद्यालयों के बजट (2024-25) की समीक्षा हेतु एक बैठक रखी गई थी. इस बैठक में कुलपति के साथ समीक्षा हेतु अन्य संबंधित पदाधिकारी यथा वित्तीय परामर्शी, कुलसचिव एवं वित्त पदाधिकारी के साथयथा आवश्यक बजट बनाने से संबंधित अन्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों को भाग लेने कहा गया था. मुंगेर विश्वविद्यालय से संबंधित बैठक 16.05.2024 को आयोजित थी. लेकिन बैठक में कुलपति नहीं आये. यदि बैठक के दिन आप अन्यथा व्यस्त थे तो आपने विभाग में इसकी सूचना ससमय दे देनी चाहिए थी, ताकि विभाग उक्त बैठक के लिए आपकी सुविधानुसार तिथि रख सकता था. उक्त के कारण विभागीय पदाधिकारियों एवं आपके विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों का भी समय व्यर्थ हुआ. कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकी, क्योंकि कुलपति अनुपस्थित थी. कुलपति जानते होंगे कि बजट संबंधी मामला अति गंभीर होता है. इसमें कुलपति का स्वयं रहना अत्यंत आवश्यक होता है. उक्त बैठक में आपकी अनुपस्थिति एवं उक्त अनुपस्थिति का ससमय विभाग को सूचित न करना विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा-11 (3) एवं (ii) के तहत आपकी उदासीनता को ईंगित करता है. साथ ही यह दर्शाता है कि आप विश्वविद्यालय के अति-महत्वपूर्ण कार्यों के प्रति उदासीन है. आपकी अनुपस्थिति के कारण आपके विश्वविद्यालय के बजट की रूपरेखा को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. साथ ही, विभाग को इस बात की स्पष्टता नहीं हो पाई की विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा-48 एवं धारा-50 के अनुरूप बजट की रूपरेखा पर आपकी संपुष्टि है कि नहीं. इसे विभाग विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा-48 एवं धारा-50 का उल्लंघन मानता है. ऐसी स्थिति में निदेशानुसार मुंगेर विश्वविद्यालय के सभी खातों के संचालन पर (पीएल खाता सहित) अगले आदेश तक रोक लगाई जाती है. साथ ही कुलपति अपना स्पष्टीकरण शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराएं कि क्यों नहीं आपको अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत पदच्युत करने की दिशा में कार्रवाई प्रारंभ की जाए.
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