प्रतिनिधि, कटिहार. शहरी क्षेत्र के बाजार में दुकान आवंटन में गड़बड़झाला सामने आया है. न्यू मार्केट बाजार कटरा संख्या 369 क्यू के संचालक रामनरेश सिंह के पुत्र विवेक कुमार ने निगम प्रशासन को रसीद दिखाकर अपना दावा मजबूत किया है. अब यह कटरा उनके चचेरे भाई के नाम से कब्जे में है. इसके विरुद्ध निगम से साक्ष्य की मांग करने पर आनाकानी व टाल मटोल का आरोप लगाया. उनका कहना है कि दो दुकानों में से एक दुकान संख्या 368 क्यू उनके चाचा और दूसरा 369 क्यू उनके पिता के नाम पर था. भाड़े के रूप में उनके पिता के नाम से एक हजार रुपये की रसीद वर्ष 1993 का उपलब्ध है. सात फरवरी 2014 को उनके जीवित चाचा को मृत दिखाते हुए नगर निगम प्रशासन की मिलीभगत से उनके पुत्र के नाम से इकरारनामा बना दिया गया. जबकि उक्त कटाराधारी उनके चाचा वीर बहादुर सिंह की मृत्यु सात फरवरी 2015 को हुई, जिसका निगम द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत किया गया. कटरा संख्या 369 क्यू, जो वर्ष 2014 से पूर्व रामनरेश सिंह के नाम पर था. उनके पास 1993 का रसीद उपलब्ध है. अब यही कटरा उनके भतीजे के नाम से इकरारनामा कर दिया गया. नगर निगम से आरटीआई के अंतर्गत इसकी सूचना मांगी गयी. कटरा आवंटन इकरारनामा का आधार व अभिलेख उपलब्ध कराने की मांग की गयी. अब 2014 के पूर्व का अभिलेख उपलब्ध नहीं होने का आधार बनाकर परेशान किया जा रहा है. गहराई से जांच हो तो कई और ऐसे मामले सामने आ सकते हैं. पिता के कटरे का हो गया दूसरे के नाम इकरारनामा. रामनरेश सिंह के पुत्र विवेक कुमार का कहना था कि 2014 को बनाये गये इकरारनामा को लेकर उनके पिता से किसी तरह की कोई जानकारी साझा नहीं की गयी. जबकि उनके पिता के नाम से कटरा संख्या 369 क्यू पूर्व से ही था. निगम द्वारा उनके दूसरे चचेरे भाई के नाम से चाचा को मृत दिखाकर सात फरवरी 2014 में इकरारनामा कर दिया गया. जबकि नगर निगम से प्राप्त उनके चाचा के मृत्यु प्रमाणपत्र में मृत्यु की तिथि 7 फरवरी 2015 दर्शायी गयी है. यह भी जांच का विषय है. 2012 में अंकेक्षण टिप्पणी में भी कई गड़बड़ी आयी है सामने. विवेक कुमार की मानें तो 2012 में अंकेक्षण टिप्पणी में दुकान आवंटन में कई गड़बड़ियां सामने आयी हैं. आरटीआई के तहत मांगी गयी अंकेक्षण रिपोर्ट के माध्यम से इस तरह की खुलासा सामने आया है. दुकानदारों के नाम से दुकान आवंटित नहीं होने के बावजूद किराया लिया जा रहा था. उन्हें सात दिन के अंदर दुकान खाली करने के लिए कहा गया था. लेकिन दुकान खाली नहीं कराया गया. इसके आलोक में कार्रवाई के लिए सलाह दी गयी थी. अंकेक्षण की टिप्पणी में यह भी बात सामने आयी है कि न्यू मार्केट व्यवसायी संघ, न्यू मार्केट सब्जी मंडी कटिहार के सचिव द्वारा 14 मार्च 2012 को नगर निगम को दिये पत्र से पता चला कि अनेक दुकानों को आवंटित दुकानदारों द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को किराये पर लगा दिया गया था. इसमें दुकान संख्या 84, 178, 339, 361, 362, 424, 427 समेत कई ऐसे दुकानों की चर्चा है जिसमें आवंटित व्यक्ति के के बजाय वर्तमान में दूसरे व्यक्ति द्वारा दुकान में व्यवसाय किया जा रहा है. जो गंभीर विषय है. कहते हैं नगर आयुक्त जो यह आरोप लगा रहे हैं. उनके पास किसी तरह का कोई साक्ष्य नहीं है. यह मामला उनके संज्ञान में आया था. जांच पड़ताल की गयी थी. उनके समर्थन में जिस समय साक्ष्य मांगा गया था. उस समय तक कोई कागजात नहीं दिखाये गये. अगर कागजात उनके पास उपलब्ध हो गये हैं, तो वे उनके समक्ष पेश करें. मामले को गंभीरता से लिया जायेगा. कुमार मंगलम, नगर आयुक्त, कटिहार
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