मुजफ्फरपुर. शोधगंगा पर थीसिस अपलोड किये बगैर ही पीएचडी की डिग्री बीआरएबीयू में अवार्ड हो जा रही है. यह तब है जबकि थीसिस की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी अपलोड करना अनिवार्य है. फिर भी यूजीसी के इस नियम काे दरकिनार डिग्री अवार्ड कर दी जा रही है. विवि अनुदान आयोग की ओर से लागू पीएचडी रेगुलेशन 2016 के तहत स्पष्ट निर्देश है कि पीएचडी उपाधि को अवार्ड करने के लिए सफलतापूर्वक मूल्यांकन प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद व पीएचडी उपाधि प्रदान करने से पहले संबद्ध संस्थान पीएचडी की एक इलेक्ट्रॉनिक प्रति इंफ्लिबनेट के पास होस्ट करने के लिए जमा कराएगा. विवि में बीते दिनों कई शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि दे दी गयी, लेकिन अबतक उनकी थीसिस की इलेक्ट्रॉनिक प्रति शोधगंगा और इंफ्लिबनेट पर होस्ट नहीं की गयी. इसका उद्देश्य यह है कि थीसिस अपलोड होने के बाद अन्य संस्थान व कॉलेजों व शोधार्थियों तक इसकी पहुंच बनेगी. विवि की ओर से बताया गया कि पूर्व में सभी थीसिस अपलोड की गयी थी. इधर, कुछ दिनों से थीसिस अपलोड नहीं की गयी है. अब आगे से आने वाले थीसिस की प्रति अवार्ड करने से पहले अपलोड कर दी जाएगी. साथ ही बीते दिनों हुए पीएचडी अवार्ड वाले शोधार्थियों की थीसिस भी अपलोड करने की कवायद की जा रही है. टॉप-10 कंट्रीब्यूटर की सूची में है विवि बीआरएबीयू की ओर से पूर्व में हुए पीएचडी की थीसिस शोधगंगा पर अपलोड की गयी थी. इसके बाद शोध गंगा की रिपोर्ट के अनुसार बीयू का स्थान देश भर में सबसे अधिक कंट्रीब्यूशन करने वाले संस्थानों की सूची में शामिल किया गया था. इसके लिए विवि को अवार्ड भी दिया गया था. बिहार में सबसे अधिक बीआरएबीयू से ही थीसिस शोधगंगा पर अपलोड की गयी है. यह टॉप-10 में शामिल प्रदेश का इकलौता विवि है. पहले शोधगंगा पर थीसिस अपलोडिंग में कई एरर रह गये थे. इंफ्लिबनेट की ओर से इस ओर ध्यान दिलाने के बाद इसमें सुधार किया गया.
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