सरायकेला. सरायकेला-खरसावां जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर सुवर्णरेखा परियोजना के चांडिल बांध (डैम) के पास शीश महल में पातकुम संग्रहालय बना है. यह हजारों साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों का गवाह है. यह हमारे अतीत की अद्वितीय शिल्प कला से अवगत कराकर गौरवान्वित कर रहा है. यहां पूर्वजों की समृद्ध कला, संस्कृति व सभ्यता की झलक दिखती है. यह आने वाली पीढ़ी और अतीत की स्मृतियों के बीच का पुल है. यहां पांचवीं से 12वीं सदी के बीच की शिल्प कला के नमूने, पत्थर की मूर्तियां, शिलालेख आदि रखे गये हैं. संग्रहालय में अपने बुलंद इतिहास की झलकियां देखने हर वर्ष हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. संग्रहालय में मौजूद मूर्तियां व शिल्प कला हमारी संस्कृति व परंपरा को दर्शाती हैं. चांडिल डैम निर्माण के लिए बने भवन को पातकुम संग्रहालय शीश महल के रूप में विकसित किया गया है. यहां सैलानियों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है. चांडिल डैम बनते समय मिलीं पाषाण कालीन मूर्तियां वर्ष 1990-92 में चांडिल डैम निर्माण चल रहा था. इस दौरान वहां खुदाई में पाषाण काल की धरोहर (शिल्प कला व मूर्तियां) मिलीं. इनमें अधिकतर मूर्तियां आस्था व भक्ति से जुड़ीं हैं. इनमें भगवान गणेश, शिव-पार्वती, नटराज, पारसनाथ, विष्णु आदि की मूर्तियां हैं. इसके अलावा जैन धर्म से जुड़े भगवान महावीर की मूर्ति चक्र शिलालेख आदि मिले थे. उचित देकभाल के बिना धूमिल हो रही धरोहर पातकुम संग्रहालय में रखीं पत्थर की मूर्तियां उचित देखरेख के अभाव में नष्ट हो रही हैं. शीश महल के बाहर एक बड़े पत्थर पर बना नंदी महाराज, चक्रवार आदि की मूर्तियां खराब हो रही हैं. खुले आसमान के नीचे रखीं मूर्तियां झाड़ियों से घिर गयी हैं. इन जगहों पर खुदाई के दौरान मिलीं मूर्तियां चांडिल डैम निर्माण के लिए पड़कीडीह, कोईलागढ़, दुलमी, दयापुर, ईचागढ़, मैसड़ा, सापड़ा, बाबूचामदा, कालीचामदा, बांकसाही, कल्याणपुर आदि जगहों पर खुदाई के समय मूर्तियां मिली थीं. चांडिल के प्राचीन कालीन जायजा शिव मंदिर में कई मूर्तियां रखी गयी हैं. शीश महल हुआ जर्जर, जीर्णोद्धार जरूरी चांडिल डैम निर्माण के समय बना शीश महल जर्जर हो गया है. शीश महल के अंदर के दरवाजे, खिड़की आदि जर्जर हो गये हैं. शीश महल में रह रहे होमगार्ड के जवानों को डरते हुए ड्यूटी करनी पड़ती है. इसका जीर्णोद्धार जरूरी है. 18 मई को मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस लोगों में संग्रहालय के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (आइसीओएम) ने 1977 में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाना शुरू किया. अपनी संस्कृति, परंपरा, ऐतिहासिक चीजों को संभालकर रखना चाहिए, ताकि विकास का सही मार्ग तलाश सकें. इसी जरूरत को समझते हुए दुनियाभर के देश अपनी संस्कृति, परंपरा और ऐतिहासिक महत्व रखने वाली अतीत की स्मृतियों के अवशेषों और कलाकृतियों को एक सुरक्षित स्थान पर संरक्षित रखते हैं. इसे संग्रहालय कहा जाता है.
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